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दशरथ के राज्य में था प्रजातंत्र:स्वरूपानन्द जी महाराज

वधू लरिकनी पर घर आई, राखेहु नयन पलक की नाई

सुनील उपाध्याय

बस्ती । जो शाप का बदला आशीर्वाद से दे वही सन्त है। राम चरित अनन्त है। श्रीराम के विवाह की कथा जो प्रेम से सुनेगा उसका सदा मंगल होगा। 


परमात्मा के मंगलमय नाम का जाप करो, चाहे ज्ञान मार्गी हो या भक्ति मार्गी, ईश्वर की साधना और ध्यान किये बिना काम नहीं बनता। मनुष्य को चाहिये कि वह अपना जीवन लक्ष्य निर्धारित कर ले। 


मनुष्य शरीर से नहीं किन्तु आंख और मन से अधिक पाप करता है। यह सद् विचार कथा व्यास स्वरूपानन्द जी महाराज ने नारायण सेवा संस्थान ट्रस्ट द्वारा आयोजित 9 दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा दुबौलिया बाजार के राम विवाह मैदान में सातवें दिन व्यक्त किया।


श्रीराम विवाह, परशुराम प्रसंग और अयोध्या वापसी के अनेक प्रसंगो का विस्तार से वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि मिथिलानरेश के लिये सौभाग्य की बात है श्रीराम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न का विवाह एक ही मण्डप में सम्पन्न हुआ। 


विदाई का क्षण आया, साक्षात महालक्ष्मी सीता जी जनकपुरी छोड़कर जा रही है, मेरे जाने के बाद इन लोगों का क्या होगा ऐसा सोच माता जी ने अपने आंचल में चावल भरकर चारो ओर बिखेर दिये। आज भी मिथिला में चावल बहुत पकता है।


अयोध्या की प्रजा सीताराम का दर्शन कर रही है, दशरथ जी ने कहा यह परायी पुत्री हमारे घर आयी है जिस प्रकार से हमारी आंखों की रक्षा पलक करती है उसी प्रकार सीता जी की रक्षा करना ‘‘ वधू लरिकनी पर घर आई। राखेहु नयन पलक की नाई।।


महात्मा जी नें कहा कि दशरथ के राज्य में प्रजातंत्र था। उनके मन में यह भाव आया कि अब श्रीराम का राज्याभिषेक कर दिया जाना चाहिये। नारायण को तो अभी नर लीला करनी है। वैसे भी किसी का सम्पूर्ण सुख तो काल से भी नहीं देखा जाता। 


राजा दशरथ के सुख को काल की अशुभ नजर लग गयी। काल ने विघ्नेश्वरी में प्रवेश किया, विघ्नेश्वरी ने मन्थरा में प्रवेश किया।


महात्मा जी ने कहा कि परमार्थ में यदि कोई भूल हो जाय तो भगवान शायद क्षमा कर देते हैं किन्तु व्यवहार की छोटी सी भूल भी लोग क्षमा नहीं करते। व्यवहार बड़ा कठोर है। इससे सावधान रहना चाहिये।


श्रीराम कथा के सातवंे दिन कथा व्यास का विधि विधान से मुख्य यजमान संजीव सिंह ने पूजन किया।


 आयोजक बाबूराम सिंह, अनिल सिंह, प्रवीन त्रिपाठी, प्रीत कुमार शुक्ल, दयाराम सोनकर, शिव प्रसाद पाण्डेय, विजय नरायन पाण्डेय, अमर जीत सिंह, जय प्रकाश, नरेन्द्र गुप्ता, सत्यवान सोनी, राम कुमार, रन बहादुर यादव, जितेन्द्र सिंह, श्रीराम, हरिश्चन्द्र पाण्डेय, गंगासागर पाण्डेय, राजेश सिंह, कृष्णदत्त द्विवेदी, सुनील सिंह, अनूप सिंह, जसवंत सिंह, रामू, राधेश्याम, पंकज सिंह, कमला प्रसाद गुप्ता, राधेश्याम मिश्र, सत्यनरायन द्विवेदी, राजेश सिंह, दयाराम, रामकुमार अग्रहरि, गोरखनाथ सोनी, अजय सिंह, अरूण सिंह, भारत सिंह, डा. वी.के. मलिक, महिमा सिंह, विभा सिंह, इन्द्रपरी सिंह, शीला सिंह, सोनू सिंह, हर्षित, वर्धन, दीक्षा सिंह के साथ ही बड़ी संख्या में क्षेत्रीय नागरिक श्रीराम कथा में शामिल रहे।

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