रजनीश / ज्ञान प्रकाश करनैलगंज(गोंडा)। जिले के करनैलगंज में हो रही प्रसिद्ध रामलीला मंचन में मंगलवार को अहिरावण वध व नारान्तक वध की लीला का सजीव मंचन हुआ।
वहीं लीला समापन के बाद फांसी नाटक का जीवंत मंचन हुआ। जिसे देखकर दर्शकों की सांस जैसे थम गई हों। लीला मंचन में मेघनाथ का वध होने पर रावण अतिशय व्यथित हो जाता है।
तब वह मंत्र आकर्षण जप द्वारा पाताल से आकर्षित करके अपने पुत्र अहिरावण को बुलाता है।
जो बहुत ही बलवान तथा मायावी था। अहिरावण रात्रि में विभीषण का रूप धरकर रामादल में प्रवेश करके श्रीराम व लक्ष्मण जी का हरण करके कामाख्या देवी पातालपुरी देवी के सन्मुख बलि चढ़ाने के लिए ले आता है।
रामा दल में श्रीराम व लक्ष्मण को न पाकर सभी व्याकुल हो जाते हैं। अंत में भेद खुलता है कि विभीषण का रूप केवल अहिरावण ही बना सकता है। हनुमान जी पाताल लोक के लिए प्रस्थान करते हैं वहां पर मकरध्वज से सामना होता है।
जब हनुमान जी को ज्ञात होता है कि वह मेरा ही पुत्र है जो मछली के मुख में श्वेत बिंदु गिरने से उत्पन्न हुआ था। तब हनुमान जी उसे बांध देते हैं तथा बली स्थल पर पहुंचकर स्वयं देवी का रूप धारण कर लेते हैं।
जैसे ही बलि चढ़ाने को अहिरावण तलवार उठाता है हनुमान जी प्रकट होकर उसकी तलवार छीन लेते हैं तथा उसका वध करके श्रीराम तथा लक्ष्मण को कंधे पर बिठाकर रामा दल पहुंच जाते हैं। रावण की पत्नी धन्य मालिनी का पुत्र नारान्तक विह्वावलपुर का राजा था।
रावण ने संदेश देकर उसे सेना सहित उसे बुलवाया। नारान्तक तथा रामा दल के वीरों में घनघोर युद्ध हुआ। सुग्रीव के पुत्र दधिबल द्वारा युद्ध में नारंतक मारा जाता है। मंगलवार की लीला में दर्शकों की जबरदस्त भीड़ जुटी।
विमान को लीला मैदान तक पहुंचाने व लीला के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किये गये थे।
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