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ईसानगर में धूमधाम से महिलाओं ने उगते सूर्य को अर्ध्य देकर खोला व्रत



घाघरा नदी के तट पर व चीनी मिल के पोखर पर उमड़ी भीड़,उगते सूर्य को अर्ध्य देने के बाद छठ पूजा का हुआ समापन

कमलेश

खमरिया खीरी:आस्था और विश्वास का महापर्व छठ का त्यौहार आज उगते सूर्य को अर्ध्य देने के बाद समाप्त हो गया। चार दिनों तक मनाया जाने वाले इस त्योहार के आखिरी दिन भक्तों ने सूर्य को अर्ध्य देने के बाद ब्रत धारण किए हुए महिलाओं ने अपना ब्रत खोल दिया।


इस दौरान नदी व घाटों पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे वहीं घाघरा नदी के तट पर सुरक्षा व्यवस्था के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा।


छठ पूजा के अंतिम दिन धौरहरा क्षेत्र के गोबिंद शुगर मिल ऐरा व बहराइच बॉर्डर पर स्थित घाघरा नदी के तट पर भक्तों ने उगते भगवान् सूर्य को अर्ध्य देकर अपना ब्रत तोड़ आस्था और विशवास के महापर्व छठ के त्योहार का समापन कर दिया। 


इस दौरान घाघरा नदी के तट पर सुरक्षा व्यवस्था के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा।



रविवार को सायं अस्त होते सूर्य को दिया था पहला अर्ध्य


छठ पूजा के पर्व के तीसरे दिन चीनी मिल ऐरा व घाघरा नदी के तट पर पूरे दिन उपवास रखकर शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पूजा की गई। 


पूजा के दौरान पूजा की सामग्री लेकर ब्रत रखने वाली महिलाएं घाट पर ले जाकर शाम के सूर्य को अर्घ्य देने कार्य शुरू कर दिया। इस दौरान घाट पर पानी मे खड़ी होकर ब्रत रखने वाली महिलाओं ने भगवान सूर्य से अपनी मनोकामना पूरी होने की कामना की। 


इस दौरान ब्रत धारण किये मानता शर्मा ने बताया की डूबते हुए सूर्य को अर्द्ध देने के बाद घर जाकर पूजा का सामान वैसी ही रख दिया जाता है। फिर दिन रात के समय छठी माता के गीत व कथा सुनी जाती है। सुबह उगते सूर्य को अर्ध्य देने के बाद ब्रत खोलकर पूजा समाप्त हो जाती है।


वहीं अर्चना दुबे ने बताया कि इसके बाद घर लौटकर अगले (चौथे) दिन सुबह-सुबह सूर्य निकलने से पहले ही घाट पर पहुंचकर उगते हुए सूर्य की पहली किरण को अर्घ्य देकर घाट पर छठ माता को प्रणाम कर उनसे संतान-रक्षा का वर मांगा जाता है। 


अर्घ्य देने के बाद घर लौटकर सभी में प्रसाद वितरण कर स्वयं भी प्रसाद खाकर व्रत खोल दिया जाता है। वहीँ बीना शर्मा ने बताया कि इस पूजा की मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु इस महाव्रत को निष्ठा भाव से विधिपूर्वक संपन्न करता है वह संतान सुख से कभी अछूता नहीं रहता है। 


इस महाव्रत के फलस्वरूप व्यक्ति को न केवल संतान की प्राप्ति होती है बल्कि उसके सारे कष्ट भी समाप्त हो जाते हैं। आज पूजा के अंतिम दिन सुबह 4 बजे घाट पर आकर पूजा पाठ शुरू कर सूर्य की पहली किरण निकलते ही भगवान सूर्य को अर्ध्य देने के बाद प्रसाद खाकर ब्रत खोला गया है। इसी के साथ आस्था और विश्वास का महापर्व आज समाप्त हो गया।

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