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मनकापुर: एकीकृत पादप पोषक तत्व प्रबंधन विषय पर प्रशिक्षण संपन्न



मोहम्मद सुलेमान 

गोण्डा:आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर गोंडा में आज दिनांक 31 जनवरी 2023 को एकीकृत पादप पोषक तत्व प्रबंधन विषय पर प्रशिक्षण संपन्न हुआ ।


 प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. रामलखन सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक शस्य विज्ञान ने पौधों के लिए 17 पोषक तत्वों की आवश्यकता बताई । उन्होंने बताया कि कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन संरचनात्मक पोषक तत्व हैं । ये प्रकृति से निशुल्क प्राप्त होते हैं ।


 नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश द्वितीय पोषक तत्व की श्रेणी में आते हैं । इनकी पूर्ति के लिए यूरिया, डीएपी, म्यूरेट आफ पोटाश आदि रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है । कैलशियम, मैग्निशियम, सल्फर द्वितीयक श्रेणी के पोषक तत्व हैं । 


इनकी पूर्ति के लिए कैलशियम अमोनियम नाइट्रेट, कैलशियम सल्फेट, मैग्निशियम सल्फेट एवं गंधक आदि का प्रयोग किया जाता है । मृदा परीक्षण की संस्तुति के अनुसार पोषक तत्व की पूर्ति के लिए रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है । 


कार्बनिक पदार्थों जैसे गोबर की खाद, नाडेप कंपोस्ट, वर्मी कंपोस्ट आदि में पौधों के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं, परंतु इनमें पोषक तत्वों की मात्रा कम पाई जाती है । 


गोबर की खाद से ज्यादा पोषक तत्वों की मात्रा नाडेप कंपोस्ट में तथा नाडेप कंपोस्ट से ज्यादा मात्रा वर्मी कंपोस्ट में पाई जाती है । वर्मी कंपोस्ट खाद केंचुए के मल से बनती है । केंचुआ  गोबर आदि कार्बनिक पदार्थों को खाकर मल त्याग करता है जिसे वर्मी कंपोस्ट खाद कहते हैं । 


सूक्ष्म पोषक तत्वों में लोहा, मैग्नीज, बोरान, जिंक, तांबा आदि आते हैं बोरान तत्व की पूर्ति के लिए बोरेक्स, लौह तत्व की पूर्ति के लिए आयरन सल्फेट, मैगनीज तत्व की पूर्ति के लिए मैग्नीज सल्फेट, कॉपर तत्व की पूर्ति के लिए कॉपर सल्फेट, जिंक तत्व की पूर्ति के लिए जिंक सल्फेट का प्रयोग किया जाता है । 


डॉ. मनोज कुमार सिंह उद्यान वैज्ञानिक ने बताया कि गोभी में मोलिब्डेनम नामक तत्व का प्रयोग अत्यंत लाभदायक है । मॉलीब्लेडिनम की कमी से गोभी में व्हिपटेल नामक बीमारी का प्रकोप होता है । मोलिब्डेनम तत्व की पूर्ति के लिए अमोनियम मोलिब्डेट का प्रयोग किया जाता है । 


एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन के अंतर्गत मृदा में नमी की उपलब्धता, खरपतवार प्रबंधन  आदि अत्यंत महत्वपूर्ण हैं फसल की क्रांतिक अवस्थाओं में सिंचाई करना अति आवश्यक है । 


खरपतवार मृदा से पोषक तत्वों की हानि करते हैं,जिससे फसल का विकास अच्छा नहीं होता है। खरपतवारों की अधिकता से फसल की उपज कम प्राप्त होती है ।

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