वेदव्यास त्रिपाठी
प्रतापगढ़:एन०एम०ओ०पी०एस०पेंशन बचाओ मंच के प्रयासों से पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा अब किसी एक राज्य तक सीमित न होकर अखिल भारतीय स्तर का विषय बन गया है!
सर्वप्रथम उत्तर प्रदेश से प्रारम्भ हुआ ओपीएस बहाली आन्दोलन विधानसभा चुनावों में राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र का टाँप एजेण्डा बन गया है! अटेवा पेंशन बचाओ मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय बन्धु के नेतृत्व में केन्द्रीय एवं प्रान्तीय कार्मिक, शिक्षक और अधिकारी वर्ग एकजुट हो रहे हैं।
यह विचार पट्टी ब्लॉक सभागार में आयोजित पेंशन वंचितों की मीटिंग में अटेवा पदाधिकारियों ने व्यक्त किया।अटेवा, मण्डल महामंत्री डा०विनोद त्रिपाठी ने पेंशन वंचितों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग दिन पर दिन जोर पकड़ रही है!
राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब एवं हिमाचल सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की घोषणा भी कर दी है! ओपीएस बहाली वर्ष 2023 में होने वाले 9 राज्यों के विधानसभा चुनाव में प्रमुख एजेण्डा बन रहा है!
आशा है शीघ्र ही यूपी में भी पुरानी पेंशन बहाल होगी अटेवा जिला संयोजक सीपी राव ने कहा कि ओपीएस के सिलसिले में शिक्षक एवं कार्मिकों सहित श्रमिक संगठनों ने पुरानी पेंशन व्यवस्था (OPS) बहाल करने के साथ ही अर्द्ध सैनिक बलों के लिए एक विश्वसनीय सामाजिक सुरक्षा ढांचा तैयार करने की मांग रखी है।
अटेवा (महिला विंग) संयोजिका पार्वती विश्वकर्मा के अनुसार आर्थिक उदारीकरण से प्रेरित होकर वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में ओपीएस को खत्म कर जनवरी, 2004 से राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) को लागू किया गया था। पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और केरल को छोड़कर उत्तर प्रदेश सहित अधिकतर राज्यों में 1 अप्रैल,2005 से अंशदान पर आधारित पेंशन योजना लाई गयी है।
पट्टी ब्लॉक संयोजक करुणा शंकर यादव ने बताया कि शेयर बाजार की नीतियों पर आधारित एनपीएस में न्यूनतम पेंशन एवं महंगाई भत्ते का कोई प्रावधान नहीं है! जबकि पहले के फण्ड एवं ओपीएस में मूल वेतन का 50% धनराशि एवं महगाई भत्ता देने का प्राविधान है।
पंचायती राज कर्मचारी संघ जिलाध्यक्ष अयोध्या यादव ने ओपीएस बहाली का पुरजोर समर्थन करते हुए एनपीएस को जनविरोधी नीति बताया। ब्लॉक सभागार में हुई मीटिंग की अध्यक्षता ब्लॉक संयोजक करुणा शंकर यादव और संचालन डा०सुशील कुमार ने किया।
इस मौके पर अटेवा जिला मंत्री संजय यादव, संयुक्त मंत्री राजेंद्र प्रसाद वर्मा, बांके लाल यादव, धर्मेंद्र बहादुर सिंह, अखिलेश कुमार ,शिक्षक दिनेश कुमार ,बाल्मीकि सरोज, संतोष सरोज और बृजेश कुमार आदि ने विचार ब्यक्त किया।
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