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मनकापुर कृषि विज्ञान केंद्र में प्राकृतिक खेती पर दिया गया बल

 


गोण्डा:सबमिशन ऑन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन आत्मा योजना अंतर्गत कृषि उपसंभाग उतरौला के अंतर्गत विकासखंड रेहरा बाजार के कृषकों का एक दिवसीय प्रशिक्षण आज दिनांक 16 फरवरी 2023 को कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर गोंडा में संपन्न हुआ । प्रशिक्षण का शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉक्टर पीके मिश्रा प्रभारी अधिकारी कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर द्वारा किया गया । उन्होंने किसानों से वैज्ञानिक खेती अपनाने का आह्वान किया । वैज्ञानिक ढंग से खेती करने पर कम लागत में ज्यादा आय प्राप्त होती है ।  डॉ मिश्रा ने  प्राकृतिक खेती को स्वास्थ्य एवं पर्यावरण की दृष्टि से अत्यंत लाभकारी बताया । डॉ राम लखन सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक शस्य विज्ञान ने बताया कि मोटे अनाज में गेहूं, धान की तुलना में कैल्शियम, जिंक, लोहा आदि पोषक तत्वों की ज्यादा मात्रा पाई जाती है  । मोटे अनाजों की खेती सीमित संसाधनों एवं कम लागत में की जा सकती है । वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है । मोटे अनाजों को श्री अन्न नाम दिया गया है । उन्होंने मोटे अनाजों जैसे ज्वार,बाजरा, सावां, कोदों,रागी,कुटकी,कंगनी,चीना की उत्पादन तकनीक,  प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों, जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत, दशपर्णी अर्क, नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र, अग्नियास्त्र आदि बनाने की विधि एवं प्रयोग विधि की जानकारी दी ।  फसल अवशेष प्रबंधन के लिए पूसा वेस्ट डिकंपोजर के प्रयोग को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया ।  दो सौ लीटर वाले प्लास्टिक के ड्रम में तीन चौथाई पानी में एक बोतल पूसा डिकम्पोजर मात्रा 100 मिलीलीटर तथा 2 किलोग्राम गुड़ को मिला देते हैं । ड्रम को जूट के बोरे या सूती कपड़े से ढक दिया जाता है । घोल को दिन में दो बार लकड़ी के डंडे की सहायता से घड़ी की सुई की दिशा में 2 से 3 मिनट तक घुमाया जाता है । 5 दिन में घोल का रंग बदलकर क्रीमी हो जाता है । अब यह घोल फसल अवशेष में छिड़काव के लिए तैयार है । इसमें जीवाणुओं की पर्याप्त संख्या पाई जाती है ।इसका छिड़काव करने से फसल अवशेष 15 दिन में सड़कर खाद में बदल जाते हैं । डॉ. मनोज कुमार सिंह उद्यान वैज्ञानिक ने एकीकृत कृषि प्रणाली, पौधशाला में फल एवं सब्जी पौध उत्पादन तकनीक, लो टनल पाली हाउस में पौध उत्पादन आदि की जानकारी दी । उन्होंने बताया कि फल,सब्जी पौध का उत्पादन कर किसान भाई अपनी आय में कई गुना वृद्धि कर सकते हैं । डॉ. मनीष कुमार मौर्य फसल सुरक्षा वैज्ञानिक ने एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन , ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई की जानकारी दी । यह जुताई रबी फसल की कटाई के उपरांत अप्रैल या मई माह में की जाती है जिससे खरपतवार, कीड़ों एवं बीमारियों के अवशेष तेज धूप में नष्ट हो जाते हैं । बीज शोधन एवं बीज उपचार तथा मशरूम उत्पादन तकनीक की जानकारी दी । डॉक्टर दिनेश कुमार पांडेय ने फल परिरक्षण के अंतर्गत आम आंवला अमरूद करौंदा बेल आदि के अचार मुरब्बा कैंडी जेली आदि बनाने की विधि की जानकारी दी । उन्होंने बताया कि फल परिरक्षण को अपनाकर किसान भाई अपना व्यवसाय शुरू कर सकते हैं । इसमें राज्य सरकार एवं भारत सरकार द्वारा किसानों को आर्थिक सहायता देय है । फसलों की उपज का उचित मूल्य भी मिल सकता है । अरविंद वर्मा सहायक कृषि विकास अधिकारी ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि एवं कुसुम योजना की जानकारी दी । उत्तम कुमार बीटीएम ने डीबीटी योजना, कृषि यंत्रों पर अनुदान के बारे में जानकारी दी । इस अवसर पर कृषि विभाग के प्राविधिक सहायकों राज किशोर सिंह, पंकज कुमार रज्जन कुमार, अरविंद कुमार, अव्यक्त मिश्रा, किशन कुमार, जानकी प्रसाद, उत्तम कुमार तथा एटीएम जगदीश यादव   सहित प्रगतिशील कृषकों राज किशोर वर्मा, नन्हकू प्रसाद वर्मा, फरियाद अली, रोजन अली, देवीशंकर पांडेय, राजेंद्र बहादुर वर्मा आदि ने प्रतिभाग कर खेती की तकनीकी जानकारी प्राप्त की । प्रशिक्षण उपरांत कृषकों को कुॅवरानी कृष्णा कुमारी फार्म का भ्रमण कराया गया । प्रक्षेत्र भ्रमण के दौरान गन्ने के साथ चना की सह- फसली खेती, आम, केला, अमरूद व चीकू की बागवानी, वर्मी कंपोस्टिंग, अरहर एवं मटर की वैज्ञानिक खेती की प्रयोगात्मक जानकारी दी गई। प्रक्षेत्र के प्रबंधक रक्षाराम पांडेय ने खेती की तकनीकी जानकारी दी ।

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