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नवाबगंज: हाथी का सफेद दांत साबित हो रहा है गांव में बना पानी टंकी



पं श्याम त्रिपाठी 

नवाबगंज गोंडा। क्षेत्र के विभिन्न गांवों में लगा पानी टंकी हाथी के सफेद दांत साबित हो रहे हैं इन गांवों में सरकार की इस बहुआयामी योजना का लाभ लोगों को मिलता नहीं दिखाई दे रहा है। 


क्षेत्र के उमारिया गांव सभा ताज़ा मामला है इस गांव के करीब 2600आबादी का गांव दो राजस्व गांव सहित नौ मजरो में फैला हुआ है इस गांव में एक पानी टंकी लगी है पर अभी तक गांव वालों को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है।


मिली जानकारी अनुसार सरकार क्षेत्र के विभिन्न गांवों में रहने वाले लोगों के लिए स्वच्छ पेयजल आपूर्ति के लिए पानी टंकी लगाकर हर घर साफ पानी पहुंचाने का दावा कर रही है पर सरकार की इस बहुआयामी योजना का ठेकेदार द्वारा लगातार चुना लगाया जा रहा है ।



यह योजना पुरे क्षेत्र के लगभग सभी गांवों में है पर सब जगह पानी की टंकी बन भी चुकी है पर सब गांव के सभी मजरो में पानी सप्लाई नहीं हो पा रहा है ताज़ा मामला उमारिया गांव का है इस गांव में स्वच्छ पेयजल के लिए 2020-21मे पानी टंकी निर्माण कार्य शुरु हुआ तब गांव के करीब 2600आबादी वाले गांव में लोगों को सरकार की बहुआयामी योजना के लाभ कि किरण दिखाई दी पर 2023 आधा बीत रहा है।

 


फिर भी गांवों के सभी मजरो में पानी सप्लाई संभव नहीं है गांव के रहने वाले लोगों को सरकार की इस बहुआयामी योजना से लाभ होता नहीं दिख रहा है गांव के एक युवक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह पानी टंकी हाथी दांत की तरह दिखावा साबित हो रही है इस टंकी की लागत करीब एक करोड़ से डेढ़ करोड़ की है।



 अभी गांव के सभी मजरो में पाइप तक नहीं बिछा है इस पानी टंकी बाबत गांव प्रधान प्रतिनिधि अभिषेक सिंह से बात किया गया तो उन्होंने बताया कि गांव का दुर्भाग्य है कि यह पानी टंकी बनी है जब यह प्रस्ताव आया तो गांव वालों से बात कर सड़क किनारे कीमती जमीन विभाग को दी गई की इस योजना का गांव के आबादी को लाभ होगा पर जिस सोच के साथ काम शुरू हुआ वह सही साबित नहीं हो पा रहा है।



 हमारा गांव दो राजस्व गांव सहित नौ मजरो में फैला हुआ है गांव अयोध्या गोंडा सीमा में है और अयोध्या विकास प्राधिकरण अन्तर्गत आता है फिर भी घटिया निर्माण कार्य के साथ सरकार की योजनाओं का ठेकेदार द्वारा पलीता लगाया जा रहा है। 



फिलहाल कमोवेश यही स्थिति क्षेत्र के अन्य गांवों की है उमारिया गांव तो एक जीता जागता उदाहरण है देखिए कब ठेकेदार मेहरबान होता है और गांव के लोगों को शुद्ध पेयजल आपूर्ति होगा यक्ष प्रश्न बना हुआ है

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