रमेश कुमार मिश्रा
गोंडा:आंगनबाड़ी केंद्रों के औचक निरीक्षण में कार्यकत्रियों के कारस्तानी की पोल खुल गई। आंगनबाड़ी केंद्रों में ना तो बच्चे मिले और ना ही आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां उपस्थित रही। मामले में कार्रवाई करते हुए बाल विकास परियोजना अधिकारी ने 14 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों पर कार्रवाई करते हुए वेतन रोक दिया है।
मिली जानकारी के अनुसार मुझे ना विकासखंड के सीडीपीओ अभिषेक दुबे ने क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्रों का औचक निरीक्षण किया। उनके निरीक्षण में कई केंद्र ऐसे पाए गए जिस पर ताला लटक रहा था। कई केंद्र ऐसे भी थे जो खुले थे लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां मौके से नदारद थी।
सीडीपीओ ने किन केंद्रों का किया निरीक्षण
बाल विकास परियोजना अधिकारी अभिषेक दुबे ने बताया कि उन्होंने अलावल देवरिया, धानेपुर, कौरहे, रामपुर दुबावल, पूरे गोनई, रूद्रगढ़ नौसी, राजापुर परसौरा, बनकासिया शिवरतन का निरीक्षण किया गया।
खुला मिला केंद्र
बाल विकास परियोजना अधिकारी ने बताया कि अलावल देवरिया, धानेपुर और कौरहे केंद्र का संचालन हो रहा था जहां पर आंगनवाड़ी वर्कर और बच्चे भी मौजूद थे।
बंद रहे केंद्र
सीडीपीओ की जांच में रामपुर डुबावल, पूरे गोनई और रूद्रगढ़ नौसी केंद्र बंद मिला।आंगनबाड़ी केन्द्र से मीना कुमारी, आसमां बानो, अनीता, रिंकू, शिवदेवी, रेनू, सरस्वती देवी, किरन सैनी और पुष्पा देवी आंगनवाड़ी केंद्र को बंद करके गायब थी।वही राजापुर परसौरा में टीकाकरण सत्र पर मिथलेश पाण्डेय नदारद मिली, तो आंगनबाड़ी केंद्र पर गंगोत्री, रीता और आरती भी अनुपस्थित रही।बनकासिया शिवरतन की आंगनवाड़ी शिवकुमारी भी केंद्र पर उपस्थित नहीं थी।
बिना छुट्टी रही गायब
कार्यालय लिपिक अरविंद ने सीडीपीओ को बताया कि किसी आंगनवाड़ी ने कार्यालय से कोई अवकाश नहीं लिया है। यही नहीं यहां सीडीपीओ को ग्रामीणों से बातचीत के दौरान यह ज्ञात हुआ कि आंगनबाड़ी केंद्र कभी-कभी ही खुलते हैं।
हुई कार्यवाही
बाल विकास परियोजना अधिकारी ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की यह मनमानी कतई नहीं चलेगी। केंद्र बंद होने से विभागीय योजनाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिए अनुपस्थित सभी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को कारण बताओं नोटिस जारी करते हुए उनका वेतन रोक दिया गया है।
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