BALRAMPUR...क्रियाकलाप के माध्यम से संगीत | CRIME JUNCTION BALRAMPUR...क्रियाकलाप के माध्यम से संगीत
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BALRAMPUR...क्रियाकलाप के माध्यम से संगीत



अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर जिला मुख्यालय के अंग्रेजी माध्यम विद्यालय पायनियर पब्लिक स्कूल एंड कॉलेज में मंगलवार को नन्हे मुन्ने बच्चों को क्रियाकलाप के माध्यम से कविता पाठ, संगीत तथा नृत्य का अभ्यास कराया गया ।


2 जुलाई को शहर के अग्रेंजी माध्यम विद्यालय पॉयनियर पब्लिक स्कूल एण्ड कॉलेज में कक्षा-नर्सरी तथा यूकेजी में कविता पाठ, संगीत तथा नृत्य क्रियाकलाप के माध्यम से कराया गया। विद्यालय के प्रबन्ध निदेशक डॉ एमपी तिवारी व उप प्रधानाचार्या शिखा पाण्डेय के नेतृत्व तथा कक्षा अध्यापिका उर्वशी शुक्ला की संरक्षता में समस्त छात्र-छात्राओं को कविता पाठ का अभ्यास कराया गया। विद्यालय की संगीत तथा नृत्य अध्यापिका उर्वशी शुक्ला ने सभी बच्चों को बताया कि गायन, वादन व नृत्य तीनों के समावेश को संगीत कहते है। संगीत मानव जगत को ईश्वर का एक अनुपम दैवीय वरदान है। यह न सरहदों में कैद है और न भाषा में बंधता है। देखा जाये तो नदी की कलकल धाराओं, कोयल की कूक, हवा के चलने से पत्तों की सरसराहट समेत अन्य चीजों में संगीत मौजूद है। उन्होंने कहा कि यदि हम ध्यान दे तो हमारे चारों ओर संगीत है, सिर्फ इसे महसूस करने की आवश्यकता है। संगीत में बहुत ही शक्ति है। संगीत एक ओर जहां उदास मन में उत्साह व दुख में राहत पहुंचाता है तो दूसरी ओर थके मन को सुकून देता है। मनुष्य के जीवन में संगीत अर्थात गायन, वादन व नृत्य का अहम स्थान है। यह कई मायने में महत्वपूर्ण है। कक्षा-नर्सरी तथा यूकेजी के छात्र-छात्राओं ने सामान्य ज्ञान में मिशिता, इलमा, देवांशी, अवेद्या, अरायना, श्रद्धा, तृषा, अनुभव, पार्थ, यश, शानवी, विहान, अनुज, उत्कर्ष, आदिती, उत्सव, उत्कर्ष, कुशाग्र, , अनुष्का, अनन्य, अनुष्का, वैष्णवी, आराध्या, जिकरा, अलीशा, तुलसी, कार्तिक, अर्थव, ईशान, अर्जुन, हुसैन, आजान, आयूशी, दिव्यांस, ईशान, आराध्या, माधुरी, अव्यांस, मिष्ठी, रिद्धि, अंश, फौजिया, वैष्णवी, अरहम, यशिका मनीष, अभीख, पृशा, चाहत, अविका आदि छात्र-छात्राओं ने बढ़चढ कर हिस्सा लेते हुए अपनी प्रतिभा को दिखाया। प्रबन्ध निदेशक डा0 तिवारी ने सभी छात्र-छात्राओं के कौशल को देखकर उत्साहवर्धन किया तथा प्रशंसा करते हुए बताया कि भारतीय संस्कृति में नृत्य और संगीत का विशेष स्थान है। यह परंपराएँ केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि वे भारतीय समाज की आत्मा और पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारतीय नृत्य और संगीत की परंपराएँ अत्यंत प्राचीन है और उनकी जड़े वेदो, उपनिषदों और पुराणों तक फैली हुई है। ये कला न केवल हमारे इतिहास और धर्म का प्रतिबिंब हैं, बल्कि हमारी सांस्कृति धरोहर को जीवंत रखते है। इस अवसर पर विद्यालय के उप प्रधानाचार्या शिखा पाण्डेय सहित अध्यापिकाओं में पूनम चौहान, रेशू तिवारी, अर्चना श्रीवास्तव तथा नीलम श्रीवास्तव उपस्थित रहीं ।

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