मनकापुर कृषि विज्ञान केंद्र में संपन्न हुआ धान उत्पादन तकनीक विषयक प्रशिक्षण | CRIME JUNCTION मनकापुर कृषि विज्ञान केंद्र में संपन्न हुआ धान उत्पादन तकनीक विषयक प्रशिक्षण
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मनकापुर कृषि विज्ञान केंद्र में संपन्न हुआ धान उत्पादन तकनीक विषयक प्रशिक्षण


अर्पित सिंह

गोंडा:आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर द्वारा मंगलवार को ग्राम फिरोजपुर में कुंवरानी कृष्णा कुमारी फॉर्म में धान उत्पादन तकनीक विषयक प्रशिक्षण संपन्न हुआ । प्रशिक्षण समन्वयक डॉ.रामलखन सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक शस्य विज्ञान ने धान उत्पादन तकनीक विषय पर जानकारी देते हुए बताया कि अच्छी बरसात हुई है। खेतों में पानी भरा है । धान रोपाई का समय भी चल रहा है । किसान भाई धान की तीन से चार सप्ताह पुरानी पौध की रोपाई तैयार खेत में करें । धान रोपाई से पूर्व खेत को समतल कर लेना चाहिए। लेव लगाते समय उर्वरक की संस्तुत मात्रा का प्रयोग करें । अच्छी उपज देने वाली तथा मध्यम देर से पकने वाली प्रजातियों में यूरिया की 100 से 110 किलोग्राम मात्रा, डीएपी की 52 किलोग्राम मात्रा, म्यूरेट आफ पोटाश की 40 किलोग्राम मात्रा तथा जिंक सल्फेट 21% की 10 किलोग्राम मात्रा प्रति एकड़ की दर से जरूरत होती है । लेव लगाते समय डीएपी एवं म्यूरेट आफ पोटाश की पूरी मात्रा का प्रयोग करें । यूरिया की एक तिहाई मात्रा तथा जिंक सल्फेट की पूरी मात्रा का प्रयोग धान की रोपाई के एक सप्ताह बाद करें। धान रोपाई के लिए पौध को अच्छी तरह से उखाड़ें, जिससे उसकी जड़ क्षतिग्रस्त न हो। धान की रोपाई से पूर्व पौध के ऊपरी दो से ढाई इंच हिस्से को तोड़ देना चाहिए, जिससे रोपाई के बाद पौध जमीन पर न गिरे। धान की रोपाई पंक्तियों में पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे के बीच की दूरी 10 सेंटीमीटर पर करें । प्रति वर्ग मीटर 45 से 50 पूंजे की रोपाई करें । एक स्थान पर एक या दो स्वस्थ पौधों की ही रोपाई करें। खरपतवार प्रबंधन हेतु धान रोपाई के तुरंत बाद ब्युटाक्लोर 5 प्रतिशत की 16 किलोग्राम मात्रा को प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें। रोपाई के बाद बची हुई कुछ पौध को खेत के एक कोने पर गाढ़ दें। धान रोपाई के बाद खेत का निरीक्षण करते रहें । रोपाई के दूसरे एवं तीसरे सप्ताह में मृत पौधों के स्थान पर नई पौध की रोपाई करें । धान रोपाई के बाद ज्यादा तापमान होने पर पानी गर्म होने लगता है । ऐसे गर्म पानी को खेत से बाहर निकाल कर सिंचाई हेतु ताजा पानी खेत में भरें। गर्म पानी से पौध गल जाती है।

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