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पंचतत्व में विलीन हुए महाराज आनंद सिंह, केंद्रीय विदेश मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह उर्फ राजा भैया ने दी मुखाग्नि

गोंडा सांसद व केंद्रीय राज्य विदेश मंत्री राजा भैया के पिता राजा आनंद सिंह मनवर तट पर पंचतत्व में विलीन, गाजे बाजे के के साथ निकाली गई शव यात्रा, हजारों शुभचिंतकों का रहा जमावड़ा, केंद्रीय राज्य मंत्री ने दी मुखाग्नि।



उत्तर प्रदेश में गोंडा सांसद व केंद्रीय राज्य विदेश मंत्री राजा भैया के पिता राजा आनंद सिंह दोपहर बाद मनवर नदी के तट पर पंचतत्व में विलीन हो गए। मनकापुर कोर्ट से गाजे बाजे के साथ में पूर्व मंत्री की शव यात्रा निकाली गई। केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्तनवर्धन सिंह उर्फ राजा भैया ने पिता को मुखाग्नि दी।


प्राप्त जानकारी के मुताबिक रविवार सोमवार के मध्य रात्रि में लखनऊ स्थित आवास पर पूर्व कृषि कैबिनेट मंत्री राजा आनंद सिंह का निधन हो गया था। इसके बाद उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक निवास मनकापुर कोर्ट पर लाया गया। मनकापुर कोर्ट में अंतिम दर्शन के लिए कुछ देर रुकने के बाद पवित्र मनवर तट पर राजा भैया ने मुखाग्नि दी, जहां राजा साहब पंचतत्व में विलीन हो गए। राजा साहब के अंतिम दर्शन में आसपास व दूरदराज क्षेत्र के हजारों लोग शामिल हुए। उन्होंने अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि दी। आलम यह हो गया कि यातायात व्यवस्था और सुगमता के लिए भारी मात्रा में पुलिस फोर्स लगाई गई।


कस्बे व आसपास के बाजारों में शोक की लहर

राजा साहब के निधन की सूचना से मनकापुर कस्बे व आसपास के बाजार में शोक छाया रहा, कस्बे के व्यवसायियों ने अपनी दुकानों को बंद करके शोक प्रकट किया। कस्बे व आसपास की सभी दुकानें पूरे दिन बंद रही। सभी विद्यालयों में शोक प्रकट करके छुट्टी दे दिया गया। मनकापुर कस्बे की स्थिति बीते लॉकडाउन के जैसे दिखाई पड़ी। 



शिक्षा एवं परिवार 

वर्ष 1939 के 4 जनवरी को मनकापुर राजघराने के महाराजा राघवेंद्र प्रताप के पुत्र के रूप में जन्म लेने वाले राजा आनंद सिंह ने एमएससी की शिक्षा ग्रहण की थी। उनका बाराबंकी जिले की रहने वाली राज्यसभा सांसद की पुत्री वीणा सिंह से विवाह हुआ था। राजा साहब के इकलौते पुत्र कीर्तिवर्धन सिंह उर्फ राजा भैया के अलावा तीन पुत्रियों में निहारिका सिंह, राधिका सिंह और शिवानी सिंह है।


राजनीति के महारथी लंदन तक हुआ नाम 

वर्ष 1965 में राजनीति का सफर शुरू करने वाले राजा आनंद सिंह ने अपने पिता महाराजा राघवेंद्र प्रताप सिंह के आशीर्वाद से तय किया था। बताते चलें कि महाराजा राघवेंद्र प्रताप सिंह स्वतंत्र पार्टी से विधायक थे। राजा आनंद सिंह ने 1971 में लोकसभा चुनाव जीत कर बड़ी प्रसिद्धि हासिल की थी, लंदन के बीबीसी ने उन्हें यूपी टाइगर के खिताब से नवाजा था। राजा साहब कांग्रेस पार्टी से पांचवी, सातवीं, आठवीं और नौवीं लोकसभा में सांसद चुने गए थे। वे वर्ष 2012 में वह एक बार फिर चुनावी मैदान में कूद गए, समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने गौरा विधानसभा से विजय श्री हासिल की थी। इसके बाद अखिलेश यादव की सरकार में कैबिनेट मंत्री का पदभार संभाला था।


कांग्रेस से करीब का नाता 

बताया जाता है कि गोंडा बलरामपुर की विभाजित 11 विधानसभा सीटों पर राजा आनंद सिंह दबदबा कायम था, कांग्रेस पार्टी इन सीटों पर राजा साहब के सहमति पर प्रत्याशी उतारती थी, जिस पर विजय श्री भी हासिल होती थी। अपने इन्हीं जमीनी पकड़ के कारण स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के राजा साहब बहुत करीबी माने जाते थे।

  

मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री ने जताया दुख 

राजा साहब के निधन की सूचना मिलने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए राजा साहब के निधन पर दुख जाता कर श्रद्धांजलि दी है।

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