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आगरा हादसा: रेस्क्यू में जुटे इंस्पेक्टर पर गिरा गाडर, टूटा पैर, दो लोगों की मौत

आगरा के सिकंदरा क्षेत्र में चार दुकानें गिरने से दो की मौत, सात घायल। रेस्क्यू के दौरान बहादुरी दिखाते हुए इंस्पेक्टर आनंदवीर मलिक गंभीर रूप से घायल हुए, उनके पैर पर गिरा लोहे का गाडर।



आगरा हादसा: मलबे से इंसानियत निकालते-निकालते खुद ज़ख्मी हुआ इंस्पेक्टर, टूटा पैर - पर हिम्मत नहीं

आगरा के सिकंदरा क्षेत्र में शनिवार की शाम जो हुआ, उसने पूरे शहर को हिला कर रख दिया। सेक्टर-4 में मरम्मत के दौरान चार जर्जर दुकानें भरभराकर गिर पड़ीं, जिससे नौ लोग मलबे में दब गए। लेकिन इस मंजर में एक चेहरा ऐसा भी था, जो खुद दर्द में था लेकिन दूसरों को बचाने में लगा रहा—जगदीशपुरा थाना प्रभारी इंस्पेक्टर आनंदवीर मलिक।


हादसा: जीर्णोद्धार बना जानलेवा

शाम करीब चार बजे विष्णु पंडित और उनके भाइयों की पुरानी दुकानें, जिनका नवीनीकरण किया जा रहा था, अचानक भरभराकर गिर गईं। उस समय वहां मजदूर काम कर रहे थे और परिवार के सदस्य भी मौजूद थे। दीवार हटाई जा रही थी और बीच में बीम लगाया जा रहा था, तभी लोहे और पत्थर की छत धड़ाम से नीचे आ गिरी। धमाके जैसी आवाज़ सुनकर लोग सहम गए। अफरातफरी मच गई। आस-पास के लोग दौड़े, मदद की गुहार लगाने लगे।

रेस्क्यू ऑपरेशन: जान बचाने उतरे फरिश्ते

सूचना मिलते ही पुलिस, फायर ब्रिगेड और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचीं। लेकिन इससे पहले कि वे पूरी तरह ऑपरेशन संभालते, स्थानीय लोग अपने स्तर पर मलबा हटाने में जुट चुके थे। जेसीबी लगाई गई, मलबा हटने लगा, और एक-एक करके लोग बाहर निकाले गए।

इंस्पेक्टर आनंदवीर मलिक, जो रेस्क्यू ऑपरेशन की कमान संभाले हुए थे, खुद भी मलबे में उतरे। लोगों को बाहर निकालते वक्त एक लोहे का गाडर उनके पैर पर गिर गया। दर्द असहनीय था, लेकिन इंस्पेक्टर की हिम्मत नहीं टूटी। पैर की हड्डी टूट चुकी थी, फिर भी वे दूसरों को बचाने की जिद पर अड़े रहे।

मौत की चुप्पी 

मलबे से निकाले गए नौ लोगों में से दो लोगों विष्णु उपाध्याय (60) और किशन उपाध्याय (65) की इलाज के दौरान मौत हो गई। बाकी सात घायलों को एसएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है।

केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल और विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल मौके पर पहुंचे और रेस्क्यू ऑपरेशन का जायज़ा लिया। डीएम अरविंद बंगारी ने आश्वासन दिया कि जाच कर कार्रवाई की जाएगी।


पुरानी इमारत, नई लापरवाही

बताया जा रहा है कि ये दुकानें और मकान काफी पुराने थे और कई बार स्थानीय प्रशासन को इसके जीर्णोद्धार की सूचना दी गई थी। अब सवाल ये उठता है कि क्या यह हादसा रोका जा सकता था?



इंस्पेक्टर की जंग

इंस्पेक्टर आनंदवीर मलिक का इलाज अस्पताल में जारी है। उन्हें गहरी चोटें आई हैं, लेकिन उनका जज्बा लोगों को याद रहेगा। वे सिर्फ एक अफसर नहीं, इंसानियत की मिसाल बनकर सामने आए हैं। जब सब भाग रहे थे, तब इंस्पेक्टर आनंदवीर मलिक जान बचाने में लगे थे। इस हादसे में दो लोगों की मौत दुखद है, लेकिन ऐसे वीर अफसरों की वजह से उम्मीदें जिंदा हैं। हादसे की जांच जारी है।


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