अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर जिला मुख्यालय स्थित एमएलके पीजी कॉलेज सभागार में इतिहास विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन बुधवार को हुआ। संगोष्ठी में मध्यकालीन भारत के दौरान समाज व संस्कृति पर विस्तृत प्रकाश डाला गया।
9 अप्रैल को समापन समारोह का शुभारंभ महाविद्यालय प्राचार्य प्रो0 जे पी पाण्डेय, कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो0 विमल प्रकाश वर्मा, मुख्य नियंता प्रो0 राघवेंद्र सिंह, मुख्य वक्ता डॉ आशुतोष शुक्ल व डॉ तबरेज अनीस ,संगोष्ठी के संयोजक प्रो0 तबस्सुम फरखी, आयोजन सचिव शालिनी सिंह ने दीप प्रज्वलित कर किया । समारोह में शोधार्थियों को संबोधित करते हुए प्राचार्य प्रो0 जे पी पाण्डेय ने कहा कि यह सेमिनार आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य ज्ञान का आदान-प्रदान करना, नेटवर्किंग के अवसर पैदा करना, और किसी विषय पर विस्तृत चर्चा करना होता है. सेमिनारों में नई अवधारणाएं पेश की जा सकती हैं, किसी मौजूदा विषय पर गहराई से चर्चा की जा सकती है, या नए शोध निष्कर्ष प्रस्तुत किए जा सकते हैं। यह सेमिनार शोधार्थियों के लिए मील का पत्थर साबित होगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो0 विमल प्रकाश वर्मा ने मध्यकालीन भारत के दौरान समाज और संस्कृति पर विस्तृत चर्चा की। मुख्य वक्ता किसान पी जी कॉलेज बहराइच के डॉ आशुतोष शुक्ल व डॉ तबरेज अनीस ने कहा कि संस्कृति समाप्त नहीं होती बल्कि परिवर्तित होती है। मध्यकालीन भारत के दौरान भारतीय इस्लाम शैली का प्रचलन हुआ। उन्होंने संगोष्ठी के विषय पर शोधार्थियों को विधिवत जानकारी दी। संयोजक प्रो0 तबस्सुम फरखी ने सेमिनार के आयोजन के साथ साथ साहित्यकार व इतिहासकार के अंतर को स्पष्ट किया। शालिनी सिंह व डॉ हरि प्रताप सिंह ने सभी का स्वागत किया जबकि सिद्धि शुक्ला ने आभार व्यक्त किया। समारोह का संचालन महाविद्यालय के एसोसिएट एन सी सी ऑफिसर लेफ्टिनेंट डॉ देवेन्द्र कुमार चौहान ने किया। इस अवसर पर डॉ तारिक कबीर, डॉ दिनेश कुमार मौर्य व डॉ प्रखर त्रिपाठी सहित कई प्राध्यापक व शोध छात्र -छात्राएं मौजूद रहे।
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