इटावा, यूपी: हर्राजपुर गांव में शुक्रवार की सुबह जब सूरज की किरणें गांव की गलियों में उतर रही थीं, तभी एक घर में जीवन की डोर टूटी और उसके पीछे छूट गया एक मासूम... चार महीने का बच्चा, जिसकी आंखों में अब सिर्फ सन्नाटा और नन्हे होंठों पर दूध की भूख बिखरी है।
बकेवर थाना क्षेत्र के हर्राजपुर गांव में रहने वाली 23 वर्षीय रोशनी और 24 वर्षीय विशाल ने एक ऐसी कहानी को जन्म दिया, जो सिर्फ अखबार की खबर नहीं, बल्कि हर माता-पिता के दिल में दर्द छोड़ जाएगी।
मां रोशनी ने अपने पति से बेटे के मुंडन की बात कही, एक मां का सपना, अपने बच्चे का पहला संस्कार... लेकिन रोज की जिंदगी की चहल-पहल में शायद ये बात भी अनसुनी रह गई।
पति विशाल, जो ऑटो चलाकर परिवार का पेट पाल रहा था, ने कहा कि "1-2 चक्कर लगाकर आता हूं।" और चला गया। लेकिन शायद उसे नहीं पता था कि पीछे एक भूचाल खड़ा है। नाराज़ हुई रोशनी ने घर में अंधेरेपन और उपेक्षा की फांस को फंदे में बदल लिया वह कुंडे से झूल गई।
पुलिस को खबर मिली, शव पंचनामा की तैयारी हो रही थी कि इसी बीच विशाल भी दूध लाने का बहाना कर निकला कर गया अपनी मां के घर। लेकिन वहां दूध नहीं, वो अपनी जान की डोर तोड़ आया।
दोनों की आत्महत्या से गांव में मातम छा गया। अब लोग हैरान हैं..! क्या इतना आसान होता है किसी को छोड़ जाना, वो भी तब, जब पीछे एक मासूम की आंखें हर पल मां-बाप को ढूंढ़ रही हों?
मासूम की मासूमियत सवाल कर रही है..!
चार महीने का वो नन्हा बच्चा जो अब अनाथ हो गया है। वो नहीं जानता कि क्यों उसकी मां की गोद अब कभी नहीं मिलेगी, क्यों उसके पापा की उंगलियां अब उसे पकड़ने नहीं आएंगी..!
गांव वाले कहते हैं कि दोनों बहुत अच्छे थे, बस आपसी बातचीत में कहीं कोई दरार रह गई थी। बस यही दरार इतनी गहरी हो गई कि उसमें दो ज़िंदगियां समा गईं, और एक नई ज़िंदगी सवालों के साए में छोड़ दी गई।
पुलिस जांच में जुटी
मौके पर पहुंची पुलिस टीम, थाना प्रभारी भूपेंद्र सिंह राठी, कस्बा इंचार्ज हाकिम सिंह, एएसपी ग्रामीण सत्यपाल सिंह और सीओ भरथना अतुल प्रधान ने जांच शुरू कर दी है। शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।
मेरी गलतियां तो बताओ?
कभी-कभी चुप्पी भी चीख होती है, इस बार वो चीख किसी ने नहीं सुनी। रोशनी और विशाल चले गए, लेकिन वो मासूम अब हर किसी से बस यही एक सवाल पूछेगा कि "मेरा क्या कसूर था?"
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