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गोंडा में झूठी रिपोर्ट पर पंचायत सचिव की परिनिन्दा, डीएम नेहा शर्मा की सख्त कार्रवाई

गोंडा के विशुनपुर कला में पेयजल की झूठी रिपोर्ट देने पर ग्राम पंचायत अधिकारी विजय प्रकाश सिंह पर डीएम नेहा शर्मा ने परिनिन्दात्मक कार्रवाई की। चार हैंडपंप खराब पाए गए थे।



4 हैंडपंप निकले खराब, अधिकारी ने दी झूठी रिपोर्ट: गोंडा डीएम ने दिखाई सख्ती, पंचायत सचिव की परिनिन्दा

कृष्ण मोहन 

गोंडा। "भ्रष्टाचार और लापरवाही की ज़रा भी गुंजाइश नहीं!" यह संदेश जिले की तेजतर्रार जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने एक बार फिर साफ कर दिया है। पेयजल जैसी गंभीर समस्या पर झूठी रिपोर्ट देने वाले एक ग्राम पंचायत अधिकारी को डीएम ने न सिर्फ कठघरे में खड़ा किया, बल्कि उसके खिलाफ परिनिन्दात्मक कार्रवाई भी कर दी। मामला जिले के विशुनपुर कला ग्राम पंचायत का है, जहां आईजीआरएस पोर्टल पर आई शिकायत के समाधान में भ्रामक रिपोर्ट देकर अधिकारी ने शासन की मंशा को ही चुनौती दे डाली।


क्या है पूरा मामला?


दिनांक 10 मार्च 2025 को ग्राम पंचायत अधिकारी विजय प्रकाश सिंह ने IGRS संदर्भ संख्या 20018325004745 के जवाब में दावा किया कि गांव के सभी हैंडपंप ठीक-ठाक काम कर रहे हैं। उनकी रिपोर्ट में कहा गया कि सभी हैंडपंप मरम्मत के बाद सुचारु रूप से चालू हैं और गांव में पेयजल की कोई समस्या नहीं है।


लेकिन हकीकत कुछ और ही निकली।


जब खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) परसपुर की टीम ने मौके पर जाकर जांच की तो 24 अप्रैल को जो रिपोर्ट सामने आई, उसने अफसरशाही के मुंह पर करारा तमाचा जड़ दिया। जांच में खुलासा हुआ कि गांव के चार हैंडपंप खराब पड़े हैं, और लोगों को पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है।


डीएम ने दिखाई 'नरमी रहित प्रशासन' की मिसाल


जैसे ही जिलाधिकारी नेहा शर्मा को इसकी जानकारी मिली, उन्होंने बिना देर किए सख्त रुख अपनाया। डीएम ने इसे शासन की "जनहितकारी योजनाओं" के साथ धोखा मानते हुए पंचायत अधिकारी विजय प्रकाश सिंह को सेवा नियमावली के अंतर्गत "मध्यावधि विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि" देते हुए उनकी "परिनिन्दा" की।


इसका सीधा मतलब है कि अब इस अधिकारी की नौकरी की फाइल में हमेशा के लिए एक काला धब्बा दर्ज हो गया है, जो भविष्य में पदोन्नति से लेकर स्थानांतरण तक हर प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।


बीडीओ और डीपीआरओ को भी दिए निर्देश


डीएम ने बीडीओ परसपुर को आदेश दिया कि वे यह प्रतिकूल प्रविष्टि पंचायत अधिकारी को थमाएं और इसकी कॉपी उनके सेवा अभिलेखों में संचित कराकर रिपोर्ट डीएम ऑफिस को सौंपें। साथ ही, जिला पंचायत राज अधिकारी (DPRO) को भी कार्रवाई से अवगत कराते हुए आगे की कार्यवाही सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।


जिलाधिकारी ने जताई नाराजगी

डीएम नेहा शर्मा ने इस मामले को बेहद गंभीर मानते हुए अधिकारियों को साफ संदेश दिया:


"IGRS पोर्टल पर आई जनता की शिकायतों का निस्तारण शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसमें लापरवाही या झूठी रिपोर्टिंग किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।"




गांव वालों को मिली राहत, अफसरों को मिला सबक


इस कार्रवाई के बाद गांव के लोगों को उम्मीद है कि अब उनके टूटे हैंडपंपों की जल्द मरम्मत होगी और अधिकारियों की जवाबदेही तय होती रहेगी। वहीं सरकारी महकमे में यह घटना मिसाल बन गई है कि यदि कोई अधिकारी जनहित के मुद्दों पर "कागजों में समाधान" दिखाकर फर्जी रिपोर्टिंग करेगा, तो वह कार्रवाई से नहीं बच सकेगा।

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