सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को दरकिनार कर नियम कानून की उड़ा रहे धज्जियाँ
दुर्गा सिंह पटेल/सुनील गौड़
मसकनवा गोंड़ा।छपिया थाना क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली नाबालिग बालिका ने पड़ोस के रहने वाले तीन युवकों पर गैंगरेप का आरोप लगाते हुए छपिया पुलिस को तहरीर दिया है।
सार्वजनिक किये गए नाम पर क्राइम जंक्शन लिखा गया |
छपिया थाना क्षेत्र के एक गांव की नाबालिग बालिका ने छपिया पुलिस को दिए तहरीर मे बताया की 4 अप्रैल की देर शाम वह मोबाइल फोन पर बात कर रही थी तभी पड़ोस के रहने वाले तीन युवकों ने उसको खींच कर गन्ने की खेत में ले जाकर दुराचार किया और विरोध करने पर जान से मारने की भी धमकी दी। पीड़िता का आरोप है कि छपिया पुलिस ने दबंगों के प्रभाव में आकर के उसका मुकदमा पंजीकृत नहीं किया। जहां ऐसे जघन्य अपराध को अंजाम देने वाले अपराधियों को दंड देना आवश्यक होता है, वहीं पीड़ित महिला को गरिमा तथा आत्मविश्वास के साथ जीने में मदद करने की आवश्यकता होती है। यही वह सुरक्षात्मक न्याय है सामूहिक दुष्कर्म की शिकार महिला को मानसिक तथा मनोवैज्ञानिक संत्रास से गुजरना पड़ता है जिस पर कार्रवाई करने की गहरी आवश्यकता होती है, ताकि वह महिला एक गरिमापूर्ण व सार्थक जीवन जी सके।
और ऐसी घटनाओं को झेलने वाली महिलाओं के न्याय का आधार बनाया जाए लेकिन छपिया थाना में रिपोर्ट लिखाने के लिए तीन दिन से पीड़िता थाने का चक्कर लगा रही है लेकिन बृहस्पतिवार की शाम 4 बजे तक रिपोर्ट नही लिखी गयी।
हद तो तब हो गयी कि जब मीडिया में खबर चलने के बाद कानून का पाठ पढ़ाने वाले थाना प्रभारी छपिया संजय तोमर ने ऐसा काम कर दिया है, जिसके लिए क्षेत्र भर में उनकी खूब आलोचना हो रही है।थाना छपिया द्वारा संचालित एक व्हाट्सएप ग्रुप पर नाबालिग के साथ हुई गैंग रेप,दरोगा ने दी धमकी कहा सुलह कर जान बचाओ तीन दिन बाद नही दर्ज हुई रिपोर्ट नाम के शीर्षक से प्रसारित खबर पर थाना प्रभारी ने टिप्पणी करते हुए घटना को असत्य बताने में जुटे रहे और इतना ही नही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को भी दरकिनार करते हुए पीड़िता का नाम सार्वजनिक कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट का सख्त निर्देश है कि ऐसे मामले में पीड़िता का पहचान गुप्त रखी जाए।
भारतीय दंड संहिता के अनुसार,रेप पीड़िता की पहचान उजागर करना दंडनीय अपराध है।
लेकिन थाना प्रभारी ने पीड़िता के नाम को सार्वजनिक करने में कोई कोर कसर नही छोड़े।
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