Type Here to Get Search Results !

Action Movies

Bottom Ad

GONDA :- योग के जनक पतञ्जलि की जन्मभूमि खो रही अपनी पहचान



ओ•पी• भारती

योग को विश्व में संजीवनी का मंत्र देने वाले योग के जनक महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली उपेक्षा की शिकार है । 21 जून यानि शुक्रवार को विश्व के 177 देशों के लोग योग मुद्रा में होंगे तब महर्षि पतंजलि की यह भूमि अपने लिए शुभ योग का इंतजार कर रही होगी ।
रामनगरी अयोध्या से 22 किमी० उत्तर कोंडर गांव में इसी नाम से एक सूखी झील है । यह झील कभी हरी भरी रहती थी और इसके किनारे महर्षि पतंजलि का मनोरम आश्रम था । करीब 9 किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैली इस झील का पानी कभी नहीं सूखता था , लेकिन मौजूदा समय में यह सूख चुकी है । कारण अतिक्रमण भी है । यह गांव वजीरगंज विकास खण्ड में आता है ।
आश्रम में दो कमरे बने हुए हैं । एक में भगवान रामजानकी की प्रतिमाएं रखी हैं , जो हजारों वर्ष पुरानी बताई जा रही हैं । आश्रम स्थल पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। ग्रामीणों के सहयोग से आश्रम में भंडारा व अन्य कार्यक्रम होते रहते हैं। आश्रम में योग की परंपरा को जीवित रखने के लिए रविशंकर द्विवेदी महीने में एकाक बार योग शाला चलाते हैं। जहां 10 - 15 लोग योगाभ्यास करते हैं। यहां के वाशिंदों की कसक है कि जिनके नाम से दुनिया भर में योग का प्रचार हो रहा है। उनकी जन्मभूमि की ऐसी उपेक्षा क्यों है। इसी टीस के साथ पतंजलि जन्मभूमि न्यास एंव सनातन धर्म परिषद के अध्यक्ष डा० स्वामी प्रसाद भगवदा चार्य संयुक्त राष्टृ महासचिव बान की मून से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को पत्र लिखकर हालात बता चुके हैं ।
स्वामी भगवदा चार्य के मुताबिक उन्होंने संयुक्त राष्टृ के महासचिव बान की मून को पतंजलि के जन्मस्थान कोंडर को हेरिटेज साइट घोषित करने की मांग की थी। प्रधानमंत्री , मुख्यमंत्री , केन्द्रीय संस्कृति मंत्री व प्रदेश के पर्यटन मंत्री को भी पत्र लिखा जा चुका है। स्वामी भगवदा चार्य चाहते हैं कि प्रधानमंत्री महर्षि पतंजलि के आश्रम आते तो कोंडर का नाम बढ़ता। हालांकि यह संभव नहीं लगता।तरबगंज विधायक प्रेमनरायण पाण्डेय जरूर यह कहकर उम्मीद पैदा करते हैं कि महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली के विकास के लिए मुख्यमंत्री से बात की जाएगी।

शेषावतार थे पतंजलि

मान्यता है कि महर्षि पतंजलि द्वापर एंव कलि के संध्याकाल में अवतरित हुए । पतंजलि शेष के अवतार थे। ऐतिहासिक साक्ष्य के अनुसार पतंजलि पर्दे के अंदर शिष्यों को ज्ञानोपदेश देते थे। उपदेश के नवें दिन बिना अनुमति के शिष्यों ने पर्दा उठाकर कोनें से झांका तो सर्पाकार पतंजलि अदृश्य हो गये। वह पवित्र स्थल कोंडर आश्रम है ।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Below Post Ad

Comedy Movies

5/vgrid/खबरे