सुविधाओं से वंचित जरूरतमंदों को नहीं मिल सका मिट्टी का तेल
आलोक बर्नवाल
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संतकबीरनगर। केंद्र सरकार के द्वारा लॉक डाउन के 68 दिन बाद जून माह में बहुत सारी छूट के साथ अनलॉक की घोषणा की गई है। पूर्व से लेकर अब तक सभी जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति में किसी भी तरह से कोई भी दिक्कत केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा नही किया जा रहा है। सभी मूलभूत आवश्यकताओं को उसके पात्र व्यक्ति को पहुंचाने में राज्य सरकार भी तत्परता से कार्यरत है। जिसमें आम गरीब जनमानस के लिए मिट्टी तेल वितरण के लिए जिलावार आवंटन सुनिश्चित किया गया है। जिसके अनुपालन के लिए शासनादेश भी जारी किया गया था। बताते चलें कि भारत सरकार के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल नई दिल्ली के पत्र संख्या डी-11011/05/2018-1 दिनांक 16/4/2020 द्वारा वित्तीय वर्ष के प्रथम त्रैमास के माह अप्रैल,मई व जून 2020 के लिए उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों के लिए मिट्टी तेल का आवंटन उपलब्ध करवाया गया है। इस आदेश का शासन ने सभी जिलाधिकारी व राज्य स्तरीय समन्वयक भारतीय तेल निगम को शासन के आदेश को भेजा गया है। जिसमे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अंतर्गत दो प्रकार के लाभान्वित परिवार है जो पात्र गृहस्थी व अंत्योदय कार्डधारकों को मिट्टी के तेल के आवंटन हेतू शासन ने नियम निर्धारित कर दिया है। इसमे एलपीजी गैस व विद्युत कनेक्शन धारक को मिट्टी तेल का आवंटन न करने का आदेश निर्गत है। वैसे सभी पात्रों को जिनमे पात्र गृहस्थी को एक लीटर एवं अंत्योदय कार्डधारकों को तीन लीटर प्रति कार्ड मिट्टी का तेल देने का शासनादेश जारी हुआ है। इसका वितरण सत्यापन खाद्यान्न वितरण की भांति ही किया जाएगा। जिसकी सूचना जिम्मेदार द्वारा शासन को दी जाएगी। ताकि किसी भी प्रकार की धांधली की आशंका न रहे। इस शासनादेश में सभी को निर्देशित किया गया है कि अप्रैल, मई के मिट्टी तेल आवंटन को एक समय अंतर्गत मई 2020 उठाना सुनिश्चित किया जाए। समस्त जिलाधिकारी को इसके लिए शासनादेश जारी किया गया है। जो जिलास्तरीय जिम्मेदार द्वारा पूर्ण करना था। लेकिन लॉक डाउन के बाद अनलॉक पीरियड के समय भी गरीबो को राहत देने का सरकारी फरमान संतकबीरनगर जिले के अफ़सरो के लिए कोई मायने नही रखता है। तभी तो शासन के खाद्य रसद अनु सचिव अशोक कुमार के द्वारा गरीबो को केरोसिन वितरण का आदेश आज भी फाइलों में दफन होकर रह गया है। लॉक डाउन के बीच मुसीबत के मारे गरीबो पर अब सिस्टम की मार पड़ी है। जिसके चलते अगर मजदूर कहीं से जुगाड़ कर अनाज की व्यवस्था कर ले रहा है तो उसे पकाने के लिए उसके पास न तो उज्ज्वला गैस का कनेक्शन है और न ही मिट्टी का तेल उपलब्ध है। ऐसे में हालात और सरकारी सिस्टम के मारे ये गरीब प्लास्टिक आदि जलाकर अथवा जंगल या अन्य जगहों से लाई लकड़ी के सहारे भोजन बनाने को मजबूर है। शासनादेश के बाद यूपी के सभी जिलों में केरोसिन वितरण का काम तो शुरू हो गया, लेकिन संतकबीरनगर जिले को आवंटित एक लाख बानवे हजार लीटर केरोसिन यानी मिट्टी के तेल का वितरण आज भी जिले के अफसर नही करवा पाएं है। लॉक डाउन के दौरान ऐसे गरीब जो अब तक उज्ज्वला गैस योजना अथवा विद्युत कनेक्शन से बंचित रह गए है। उनके लिए मिट्टी का तेल ही मौजूदा वक्त मे सबसे ज्यादे जरूरी था। जिसपर अफ़सर कुंडली मार कर बैठे रहे है। जिले के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जिले भर में कुल दो लाख छियालीस हजार सात सौ बानवे बिजली कनेक्शन धारी है। जबकि एक लाख दस हजार उज्ज्वला गैस योजना से लाभान्वित गरीब है। उज्ज्वला गैस कनेक्शन धारियों के साथ जिले में कुल चार लाख उनहत्तर हजार गैस उपभोक्ता है। जिनका काम तो बगैर मिट्टी के तेल से चल जा रहा है, लेकिन जिले में लगभग दो लाख ऐसे कार्ड धारक हैं जिनको मिट्टी के तेल की मौजूदा वक्त में शख़्त जरूरत है। जो उन्हें जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही से नही मिल पा रही है।
आम गरीबो की लाचारी और मजबूरी को अफ़सर भला कैसे समझ सकते है। अफ़सरो की फाइलों में तो गाँव का मौसम भी गुलाबी रहता है। लॉक डाउन के बीच फंसे मजबूर गरीबो की आहों से अफ़सरो कोई मतलब नही और ना ही उन्हें फिक्र है गरीबो को होने वाली मुसीबतों से। इतना ही नही जिले के अफ़सर सचिवालय में बैठे अफ़सरो की भी परवाह नही करते है। तभी तो शासनादेश को भी जिम्मेदार लोग दबा देते है। इस बाबत जब जिलाधिकारी रवीश गुप्ता से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया शासन का आदेश मिला था लेकिन मिट्टी तेल कोटे को सरेंडर कर दिया गया है। आगामी दिनों में शासन का जैसा भी आदेश होगा उसपर अमल होगा।
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