प्रतापगढ़ ! तरुण चेतना संस्था द्वारा “उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य अभियान” के अंतर्गत निजी अस्पतालों में मरीजों के अधिकार व अस्पतालों की जबाबदेही पर अभियान चलाया जा रहा है, जिसमे अंतर्गत पट्टी ब्लाक के विभिन्न ग्राम पंचायतों में हस्ताक्षर अभियान व जागरूकता बैठकें आयोजित की जा रहीं है. उक्त बात की जानकारी देते हुए तरुण चेतना के निदेशक नसीम अंसारी ने बताया कि हमारा देश दुनिया के उन देशों में गिना जाता है कि जहाँ निजी स्वास्थ्य सेवाएं सबसे ज्यादा है परन्तु इनकी जवाबदेही बिलकुल नहीं है और न ही इन्हें नियंत्रित करने की कोई पर्याप्त व्यवस्था ही है. यहाँ तक कि क्लीनिकल इस्टेब्लिश्मेंट एक्ट 2010 पारित होने के बावजूद निजी अस्पतालों व नर्सिंग होम्स द्वारा मरीजों से मनमाना पैसा लिया जा रहा है, जिससे गरीब जनता को अपने गहने व खेत तक गिरवी रखने पड़ रहे हैं . कुछ नर्सिंग होम तो उधार के डाक्टर पर चलाये जा रहे हैं, जहाँ मरीज भर्ती करने के बाद डाक्टर खोजे जाते है. यह मरीजों के साथ एक धोखा है. श्री अंसारी ने बताया कि शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकतायें सरकार के नियंत्रण में होनी चाहिए जिसके लिए सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के साथ साथ निजी स्वास्थ्य सेवाओं को सामाजिक तौर पर नियमन करना होगा.
इस अवसर पर संतोष चतुर्वेदी ने कहा कि बहुत से निजी अस्पतालों व नर्सिंग होम्स सेवाभावी तरीके से अच्छा इलाज करतें है मगर इनकी संख्या बहुत ही कम है. इसके लिए मरीजों के अधिकारों को लेकर निजी अस्पतालों की जवाबदेही तय होनी चाहिए.
नसीम अंसारी सहित अच्छेलाल बिन्द, मेहताब अली, शकुन्तला देवी, राकेश गिरि, संतोष चतुर्वेदी व कलावती देवी आदि लोगों ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा जारी हेल्थ चार्टर को लागू करने की मांग करते हुए मरीजों के अधिकारों का उल्लंघन होने पर मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली बनाने की आवश्यकता जताई.
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