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AYODHYA:सुदामा कुटी वृंदावनधाम के महंत भगवानदास को अयोध्या के धर्माचार्यो ने किया नमन



 वासुदेव यादव
अयोध्या। सिद्धपीठ राजा दशरथ  महल बडा स्थान मन्दिर में महंत विन्दुगद्याचार्य स्वामी श्री देवेन्द्र प्रसादाचार्य जी महाराज की अध्यक्षता में सुदामा कुटी वृंदावन धाम के महंत श्री भगवानदास जी महाराज की पुण्य स्मृति में शोकसभा का आयोजन किया गया। विन्दुगद्याचार्य जी महाराज ने कहा कि भगवान दास जी महाराज एक गौ - सन्त सेवी भजनानंदी सन्त थे । वे उदारता ,सरलता के साक्षात स्वरूप थे । उन्होनें  अपने गुरुदेव की परम्परा को कायम रखा। आज भी सुदामा कुटी में पहले जैसी सन्त सेवा,गौ सेवा की प्रधानता है।
  इस अवसर पर दिगम्बर अखाडा के श्री महंत सुरेश दास ने कहा कि महंत भगवान दास एक भजनानंदी संत थे । संत सेवा के प्रति वे सदा प्रतिबद्ध रहते थे। रसिकाचार्य महंत श्री जनमेजय शरण जी ने कहा महंत भगवान दास साधुता के साक्षात् स्वरूप थे । हिन्दू धाम के श्री महंत राम विलाश दास वेदांती जी महाराज ने महंत भगवान दास जी के साकेतवास पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वे सन्त सेवा , गौ सेवा में संलग्न रहते थे। जगद गुरु स्वामी श्री राम दिनेशाचार्य जी महाराज ने कहा कि महंत भगवान दास जी एक सन्त सेवी ,गौ सेवी सन्त थे। भगवत चरणों में उनकी गहरी निष्ठा थी। भगवान श्री कृष्ण की भूमि में श्री रामजी का गौरव स्थापित करने का श्रेय भगवान दास जी को जाता है। सन्त श्री रत्नेश शरण ने कहा महंत भगवान दास साधुता की प्रति मुर्ति थे। वे सेवा की कसौटी पर खरे उतरते थे। नाका हनुमान गढी के महंत श्री राम दास जी ने कहा कि संतों की शोक सभा नहीं होती उसका गुणगान होता है। महंत भगवान दास एक महान सन्त सेवी ,गौ सेवी सन्त थे।                  अधिकारी श्री राजकुमार दास जी ने कहा कि सुदामा दास जी ने जो नीव डाली थी वह आज भी जारी है। सुदामा कुटी में कभी भी कोई भी पहुच जाता था तो उसकी सेवा होती थी आज भी होती है।
                 महंत श्री पवन कुमार दास शास्त्री रामयणी ने कहा कि महंत भगवान दास जी की कीर्ति सम्पूर्ण भारत में प्रकाशित है। सन्त तुलसी दास जी ने कहा गुरु एवं गुरु के प्रति सच्ची सेवा थी। सुदामा कुटी में सन्त सेवा ही नहीं जीव सेवा होती थी।                       इस अवसर पर महंत श्री रामानंद दास जी ने कहा कि श्री भगवान दास जी महाराज की महिमा एवं प्रसिद्धि उनके गुरुदेव श्री सुदामा दास जी से प्राप्त हुआ। वहा आज भी वहा निष्पक्षभाव से सेवा होती है।            इस पुनीत अवसर पर महंत राम शंकर दास शास्त्री जी,महंत श्री राजेन्द्र दास जी,महंत श्री राम शरण दास जी रामयणी, महंत श्री दिलीप दास जी,महंत श्री राम शरण दास जी रंग महल,मधुकरिया सन्त श्री मिथिला बिहारी शरण जी ,महंत श्री कामता दास जी,महंत श्री माधव दास जी सहित अन्य सन्त-महंत उपस्थित थे ।                          इस अवसर पर समागत संतों-महान्तो का सन्त श्री राम भूषण दास जी कृपालु जी महाराज ने स्वागत-सत्कार किया। सभा का संचालन सन्त श्री वरुण दास जी ने किया।

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