धर्मशास्त्रोक्त दीपावली 'प्रदोष काल एवं महानिशीथ काल व्यापिनी अमावस्या में है, जिसमें प्रदोष काल का महत्त्व गृहस्थों एवं व्यापारियों के लिए महत्त्वपूर्ण होता है और महानिशीथ काल का तान्त्रिकों के लिए उपयुक्त होता है। इस साल अमावस्या व्यापिनी महानिशीथ काल प्राप्त हो रहा है। महानिशीथ काल की पूजा मध्यरात्रि 12:40 से 2:00 बजे के मध्य की जा सकती है।
क्या है प्रदोष काल: दिन-रात के संयोग काल को ही प्रदोष काल कहते है, जहां दिन विष्णु स्वरुप है वहीँ रात माता लक्ष्मी स्वरुपा है, दोनों के संयोग काल को ही प्रदोष काल कहा जाता है। इस प्रकार प्रदोष काल में दीपावली पूजन का श्रेष्ठ विधान है और प्रदोष काल में ही दीप प्रज्वलित करना उत्तम फल दायक होता है।
प्रदोष काल शाम 05:19 से 07:53 बजे तक रहेगा।
पूजन एवं खाता पूजन हेतु शुभ मुहूर्त्त स्थिर लग्न वृश्चिक दिन को 06:47 बजे से लेकर 09:04 तक,
कुम्भ स्थिर लग्न दिन 12:57 से 2:28 तक,
वृष स्थिर लग्न सायं 5:33 से 7:29,
तक विद्यमान रहेगा। स्थिर लग्न में पूजा करना लाभप्रद होता है।
महानिशीथ काल में तान्त्रिक पूजन करने वालो के लिए इस दिन महानिशीथ काल लगभग रात 12:40 से 02:00 बजे तक व्याप्त रहेगा ।
ज्योतिषाचार्य
पं.आत्मा राम पांडेय "काशी"
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