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BALRAMPUR...करेहु सदा शंकर पद पूजा, नारी धर्म पति देव न दूजा


अखिलेश्वर तिवारी
बलरामपुर जिला मुख्यालय पर मानस परिवार सेवा समिति के तत्वाधान में आयोजित संगीतमय श्री राम कथा के तृतीय दिवस में प्रेम मूर्ति युवा संत सर्वेश जी महाराज ने शिवजी के पावन विवाह का वर्णन किया । उन्होंने शिव विवाह का वर्णन करते हुए कहा कि बाबा शिव जी को पाने के लिए पार्वती जी ने घोर तप किया । "पार्वती तप कीन्ह अपारा, करहु तास अब अंगी कारा" ।। तब शिव बाबा ने स्वीकार किया और कहा सिर "धर आयसु करब तुम्हारा, परम धर्म यह नाथ हमारा" और कथा प्रसंग को बढ़ाते हुए बताया कि शिव बाबा और पार्वती जी के बीच विवाह में कहीं भी दहेज की चर्चा नहीं आई ।

 संत सर्वेश जी महाराज ने कहा कि दुल्हन ही दहेज है । आज समाज की सबसे बड़ी विडंबना दहेज है दहेज रूपी दानव हिंदू समाज को खोखला कर रहा है। हर किसी को इस से सजग होना चाहिए। हमारे समाज से दहेज रूपी दानव समाप्त होना चाहिए। बाबा शिव जी ने पुनः विवाह किया और इसी बीच में बाबा तुलसी मानस में लिखते हैं, "पानी ग्रहण जब कीन्ही महेशा, हिय हरशे तब सकल सुरेशा"।। हर किसी को आनंद हुआ। यहां तक इंद्र आदि सब देवी देवता आकाश मार्ग से पुष्प वृष्टि किए और साथ ही विदाई बाबा शिव जी की पार्वती के साथ हुई। मैना माता ने पार्वती जी को विदाई के समय समझाया और कहा "करेहु सदा शंकर पद पूजा, नारी धर्म पति देव न दूजा । वचन कहत भरी लोचन बारी, बहुरी लाइ कर लीन्ह चीन्हारी" ।। बाबा तुलसी ने श्री रामचरितमानस में वर्णित किया है और कथा के विवाह शिव विवाह प्रसंग में के दौरान मौजूद रहे धीरेंद्र प्रताप सिंह धीरू, भैया रवि मिश्रा, संतोष मिश्रा, शिवम पांडे, डीपी सिंह, आध्या सिंह, ललिता तिवारी, रेशम सिंह, सुभ्रा शुक्ला, सौरभ त्रिपाठी, रामनरेश त्रिपाठी, शुभम मिश्रा, पप्पू मिश्रा, रवी शास्त्री, केशव शास्त्री, शुभम तिवारी, राकेश दुबे व अजय शुक्ला सहित कई अन्य लोग मौजूद रहे।

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