वासुदेव यादव
अयाेध्या। सुप्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर के वर्तमान गद्दीनशीन महंत प्रेमदासजी महाराज ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम ने सभी काे अपनाया। उन्हाेंने कभी ऊंच-नीच का भेद नही किया। अतः वे मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। जिन्हाेंने पूरी दुनिया काे मानवता का संदेश दिया। ऐसे हमारे भगवान श्रीराम हैं। जिनका अनुसरण हम सभी लाेगाें काे करना चाहिए। उन्हाेंने कहा कि शिष्य को अपने नाम, काम और धाम से समर्पित हाेना चाहिए। कीर्तन वही कर सकता है जाे कीर्ति व तन से ऊपर हाे जाए। जिसकी कीर्ति हमें जीवन में सुकीर्ति प्रदान करती है। वह हमारे रघुनाथ हैं, जिसका मन निर्मल है वही परमात्मा काे प्राप्त कर सकता है। भजन झंझटाें से जूझने का सामर्थ्य देता है। संत काे पूरे ब्रहांड की चिंता हाेती है। वह हमें भगवंत का रास्ता दिखाते हैं। परमात्मा काे आंखाे से नही कानाें से देखा जाता है। सुख का अनुभव कामना की निवृत्ति में हाेता है। विद्वानाें की संगति रखना सबसे बड़ा आचरण है। परमात्मा के साथ लाैकिक सम्बंध भी हमारा उद्धार करता है।
श्री सदगुरू गद्दीनशीन महराज ने कहा कि रविवार को ठाकुरजी का वार्षिकोत्सव धूमधाम के साथ मनाया गया। जिसके उपलक्ष्य में इमली बगिया में विशाल भंडारा आयाेजित किया गया। इस भंडारे में हनुमानगढ़ी समेत पूरी अयाेध्या के मुख्य संत-महंत, नेता, समाजसेवी पत्रकार आदि उपस्थित हुए और भगवान का प्रसाद पाया। भण्डारे में आये समस्त संत-महंताें का डॉ महेश दास व अंतर्राष्ट्रीय पहलवान मामादास जी महाराज द्वारा दक्षिणा आदि भेंटकर स्वागत-सत्कार किया गया।
महंत प्रेमदास महाराज ने कहा कि सन 1994 से वह भगवान सीताराम का वार्षिकोत्सव मनाते हुए चले आ रहे हैं। उसी के परिप्रेक्ष्य में इस बार भी उत्सव मनाया गया। इस अवसर गद्दीनशीन महंत प्रेमदास रामायणी महाराज के शिष्य डॉ. महेश दास व मामादास जी महाराज ने बताया कि यह भण्डारा परम्परागत है जो हर वर्ष आयोजित किया जाता है।
इस भण्डारे में अयोध्या हनुमागढ़ी के सभी पटटी के श्री महन्त सन्त नागा सन्त आदि शामिल रहे। कार्यक्रम में महन्त मुर्लिदास महराज, पहलवान राकेश दास, अभयदास, पुजारी रिंकू दास, महंत श्यामसुंदर दास, बबलू कश्यप आदि शामिल रहे।
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