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Sant kabir nagar आत्‍मरक्षा के साथ ही छात्राओं को आत्‍मनिर्भरता के गुर भी सिखाती हैं सोनिया सिंह

-------- महिला दिवस पर विशेष --------




कोरोना काल में सोनिया सिंह के निर्देशन में छात्राओं ने खुद बनाए और बांटे मास्‍क

व्‍यायाम के साथ ही पेंटिंग, सिलाई व स्‍काउट की ट्रेनिंग भी देती हैं छात्राओं को
आलोक कुमार बर्नवाल

सन्तकबीरनगर। सोनिया सिंह मूल रुप से राजकीय कन्‍या इण्‍टर कालेज, खलीलाबाद की व्‍यायाम शिक्षिका हैं, लेकिन व्‍यायाम के साथ ही छात्राओं को स्‍वावलम्‍बन,आत्‍मरक्षा व समाजसेवा के गुर सिखाती हैं। कोरोना काल में उन्‍होने छात्राओं के साथ मिलकर मास्‍क बनवाया तथा उनको जनता के बीच में वितरित भी कराया। यही नहीं प्रवासियों के लिए लंगर का भी आयोजन किया था। छात्राओं को स्‍वावलम्‍बी तथा आत्‍मरक्षा के लिए तैयार करना ही उनका मूल ध्‍येय है।

बस्‍ती जनपद के हरैया की निवासी सोनिया सिंह वर्ष 2011 में राजकीय कन्‍या इण्‍टर कालेज में व्‍यायाम शिक्षिका के तौर पर नियुक्‍त हुई। इस दौरान उन्‍होने छात्राओं को व्‍यायाम के साथ ही पेंटिंग, सिलाई व स्‍काउट की भी ट्रेनिंग देना शुरु कर दिया। कोरोना काल में लाक डाउन के दौरान तत्‍कालीन जिलाधिकारी रवीश गुप्‍ता को जब उन्‍होने अपनी छात्राओं के द्वारा बनाया गया हस्‍तनिर्मित मास्‍क दिखाया तो वे काफी प्रसन्‍न हुए। उनके मुंह से बरबस ही निकल पड़ा कि यही बेहतर मास्‍क है। इसके बाद उन्‍होने सोनिया सिंह के मास्‍क को लेकर मास्‍क बना रही स्‍वयंसेवी महिलाओं के ग्रुप को दिया तथा उसी आधार पर मास्‍क बनाए जाने लगे। उन्‍होने सोनिया सिंह को सम्‍मानित भी किया। आज वे शिक्षा के साथ ही स्‍वावलम्‍बन के क्षेत्र में काम करती हैं। अपने स्‍कूल की प्रार्थना सभा में वे छात्राओं को आत्‍मरक्षा के विभिन्‍न गुर सिखाती हैं। खुद भी वह कराटे जानती हैं तथा छात्राओं के प्रशिक्षण में उन्‍हें इसकी जानकारी देती हैं। इसके साथ ही स्‍कूल में पेंटिग, सिलाई, कढ़ाई की अतिरिक्‍त कक्षाएं भी लेती हैं। जिले के अन्‍य स्‍कूलों में भी छात्राओं को आत्‍मरक्षा व स्‍वावलम्‍बन की ट्रेनिंग देती हैं। राजकीय कन्‍या इण्‍टर कालेज की छात्रा नाजिया जो नौंवी कक्षा में पढ़ती हैं वह बताती है कि मैडम के निर्देशन में हम लोगों को बहुत ही उर्जा मिलती है। पढ़ाई के साथ ही स्‍वावलम्‍बन की शिक्षा देती हैं।

छात्राओं को स्वावलंबी बनाना आवश्यक–सोनिया सिंह

सोनिया सिंह बताती हैं कि वर्तमान दौर में छात्राओं को स्‍वावलम्‍बी बनाना बहुत ही आवश्‍यक है। हम सभी लोगों को इस बात के लिए हमेशा छात्राओं को तैयार करना होगा। अगर छात्राएं स्‍वावलम्‍बी नहीं होंगी तो वे समाज में विकास नहीं कर सकती हैं। महिलाओं को स्‍वावलम्‍बन का रास्‍ता कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए। अगर वे साधन सम्‍पन्‍न नहीं हैं तो वे इसका उपयोग खुद को बढ़ाने में करेंगी, अगर वे साधन सम्‍पन्‍न हैं तो समाजसेवा में। लेकिन आत्‍मनिर्भरता का रास्‍ता न छोड़े तो बेहतर है।

आज भी लोगों के बीच बांटती है मास्क

सोनिया सिंह और मास्‍क एक दूसरे के पर्याय हो गए हैं। कोई भी अगर उन्‍हें बिना मास्‍क के मिल जाता है तो वे अपने झोले से एक मास्‍क निकालकर उसे जरुर दे देती हैं। वे मास्‍क के लिए जागरुक भी करती रहती हैं। बिना मास्‍क लगाए कोई मिल जाता है तो वह उसे सम्‍मान के साथ ही टोके बिना मानती नहीं हैं। यह मास्‍क उन्‍हें उनकी छात्राए कुमकुम वर्मा, सोनी वर्मा,खुशनुमा खातून, किरन त्रिपाठी, पूनम, पल्‍लवी, अंकिता और ज्‍योति बनाकर देती हैं, जिन्‍हें उन्‍होने समाजसेवा के साथ स्‍वावलम्‍बन का गुर सिखाया है।

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