तरबगंज कस्बे और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में शटर व चैनल बन्द कर अन्दर से बेचे जा रहे हैं सामान और जुट रही भींड़।
खुलेआम कालाबाजारी ओवररेंटिंग के नाम पर जमकर लूट खसोट को दिया जा रहा अवैध संरक्षण
रमेश कुमार मिश्रा
तरबगंज गोण्डा। महामारी से बचाव हेतु सरकार द्वारा 24 मई तक आंशिक लॉक डाउन की घोषणा की गई है। लॉक डाउन का कड़ाई से पालन हो इसकी जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस को सौंपी गई है। गोण्डा शहर में लॉक डाउन की कड़ाई से पालन हेतु ड्रोन कैमरों से नज़र रखी जा रही है और लोग पूर्ण रूप से लॉक डाउन का पालन भी कर रहे हैं।वहीं लॉक डाउन के नाम पर कस्बा तरबगंज में जमकर लूट मची हुई है।किराना,सब्जी,फल,दूध व कृषि कार्यों की दुकानों के खोलने की अनुमति की आड़ में बाज़ारें और अधिकतर दुकानें खुलवायी जा रही हैं।सुबह छह बजे से ग्यारह बजे और उसके बाद तक आवश्यक और गैर जरूरी वस्तुओं की अधिकांश दुकाने खुली रहने से पुलिस और प्रशासन की शह और अनदेखी उजागर हो रही है। बाजार में चहलकदमी बनी हुई है परंतु दुकाने बंद नज़र आती हैं। जिसकी जानकारी लेने पर पता चला कि अधिकांश दुकाने अंदर से खुली रहती हैं। बंद दुकानों से ग्राहक आसानी से सामान खरीद रहे हैं। उपजिलाधिकारी आवास तहसील से पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के बाऊड्रीवाल को कब्जे में लेकर चाय समोसा व पान की दुकान हमेशा खुली नज़र आती है। बस अड्डे व उसके आसपास पांच सौ मीटर के अंदर ही सभी सड़कों के किनारे पर बंद होटलों से चाय समोसा बड़ी आसानी से उपलब्ध होता है। समस्त कस्बे में दुकानदार दुकान के बाहर किसी आदमी को खड़ा कर देता है और ग्राहक के आने पर दुकान का शटर खोल कर ग्राहक को अंदर बुलाकर दुकान का शटर पुनः बंद कर दिया जाता है। कस्बा पुलिस को सम्पूर्ण जानकारी होने के बाद भी किसी प्रकार की कड़ाई नज़र नही आती।आपदा को अवसर में बदल रहे जमाखोरों व कालाबाज़ारी करने वालों पर नकेल कसने में स्थानीय प्रशासन नाकाम दिख रहा है।विदित हो कि इस संबंध में एक सामाजिक कार्यकर्ता ने ट्विटर सोशल मीडिया के माध्यम से गोण्डा पुलिस को उक्त जानकारी से अवगत कराया था परंतु कोई कार्यवाही नही की गई।जिससे सम्पूर्ण कस्बा तरबगंज बाज़ार व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में जमकर हो रही है ब्लैक मार्केटिंग, मनमानी रेट वसूली के साथ ही जिम्मेदार आला अधिकारी व पुलिस प्रशासन के नाक के नीचे खुलेआम सरकारी फरमान और कोरोना कर्फ्यू लाकडाऊन की धज्जियां उड़ने एवं अवैध कारोबार पर अंकुश ना लगने से शासन प्रशासन के दावे हवा हवाई साबित हो रहे हैं जो चर्चा का विषय होने के साथ ही जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली को भी कटघरे में खड़ा कर रहा है।।
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