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Sant kabir nagar गर्भवती स्वास्थ्य का रखें खयाल, कम से कम निकलें बाहर




असुरक्षित वातावरण में न निकलें बाहर,टेलीफोनिक परामर्श लें
गर्भवती को है ज्यादा खतरा, फिजिकल डिस्टेंसिंग आवश्यक
आलोक कुमार बर्नवाल
सन्तकबीरनगर। गर्भावस्था वह समय है जब महिला को सबसेज्यादा देखभाल और सावधानी की जरूरत होती है। यह सच है कि गर्भवती जो खातीहै और जिस तरह की जीवनशैली का पालन करती है, उसका सीधा असर उसकी गर्भावस्थाऔर होने वाले बच्चे पर पड़ता है। कोविड 19 के दौर में यह और भी आवश्यक हो जाता है कि गर्भस्थ शिशु का खयाल रखे तथा जब बहुत ही आवश्यक हो तभी बाहर निकले। अपने चिकित्सक से निरन्तर फोन पर ही परामर्श लेती रहें।

यह कहना है जिला अस्पताल के स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ विजय गुप्ता का। उन्होने बताया कि देश में कोविड -19 के चलते स्थितियां हर व्यक्ति के लिए काफी दुरुह हुई हैं। गर्भवती को इसका खतरा अधिक रहता है, ऐसे में फिजिकल डिस्टेंसिंग इस वायरस सेबचने का सबसे कारगर तरीका है।गर्भवती को समय-समय पर स्वास्थ्य जांच एवं चिकित्सकीय परामर्श की आवश्यकता होती है, लेकिन कोरोना के इस दौर मेंगर्भवती का घर से बाहर निकलना और अस्पताल जाना खतरे से खाली नहीं है। ऐसेमें सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न संचार माध्यमों सेबतायी जा रही सावधानियों एवं सुझावों को ध्यान से सुनें और उनका पालन करें।नियमित रूप से अपने हाथों की सफाई करें। आशा, एएनएम, आंगनबाड़ी के अलावाअपने चिकित्सक से घर पर स्वच्छता के तौर-तरीकों के बारे में जानकारीप्राप्त करनी चाहिए। मौसमी फल, हरी सब्जी खासकर पत्तेदार, दूध, दही, गुड़चना, दलिया व पोषाहार को अपने दैनिक भोजन में शामिल करें। यदि गर्भावस्था से संबंधित किसी भी तरह की चिंता में है, तो फोन पर अपने क्षेत्र की आशा, एएनएम या प्रसूति विशेषज्ञ से संपर्क कर सकती हैं।

हार्मोनल बदलाव के कारण गर्भवती के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ताहै। ऐसे में उनमें तनाव, डिप्रेशन, चिंता, गुस्सा, घबराहट, एकाग्रता कीकमी आदि आम समस्याएं बन जाती हैं। इसलिए इस दौरान उन्हें अपने स्वास्थ्य काखास ख्याल रखने की आवश्यकता है।

गर्भवती महिलाओं के लिए यह है सुविधाएं
परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. मोहन झा ने बताया जननीशिशु सुरक्षा कार्यक्रम व जननी सुरक्षा योजना के तहत गर्भवती के लिए सभी स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह नि:शुल्क हैं।गर्भावस्था से लेकर शिशु जन्म और उसके बाद शिशु के एक वर्ष पूरा होने तकजच्चा-बच्चा के इलाज पर होने वाले खर्चों का भुगतान योजना के तहत कियाजाता है। उन्होंने बताया गर्भवती, प्रसूताओं एवं एक वर्ष तक केबीमार शिशुओं को घर से अस्पताल, अस्पताल से घर के अलावा उच्च अस्पतालों मेंरेफर करने जैसी सभी स्थितियों के लिए 102 एम्बुलेंस सेवा बिल्कुल नि:शुल्कहै।प्रसव के लिए अस्पताल आयीं सभी गर्भवती के लिए भर्ती रहने तकनाश्ता एवं दो समय के भोजन की व्यवस्था नि:शुल्क है। इसके अलावा योजना केतहत पंजीकृत गर्भवती को गर्वभावस्था से लेकर प्रसव के दौरान या प्रसव केबाद में जरूरत पड़ने पर नि:शुल्क ब्लड की व्यवस्था का प्रावधान है। गृहआधारित शिशु की देखभाल कार्यक्रम (एचबीएनसी) के तहत जिले की 1700 आशाकार्यकतार्ओं द्वारा प्रसव उपरांत माँ बच्चे की स्वास्थ्य देखभाल के लिए कोविड काल में भी फोन कॉल से नियमित फॉलोअप किया जाता है।

ये सावधानियां है जरूरी
फिजिकल डिस्टेसिंग और साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें।गरारे करें, गरम पानी का भाप लें और गुनगुना पानी पिएं।पर्याप्त पोषण लें और आहार में तरल पदार्थों की मात्रा बढ़ाएं।अस्पताल जायें तो सतर्क रहें और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखें ।दिन में दो घंटा व रात में सात से आठ घंटे की नींद लें ।खाली समय में किताब पढ़ें या संगीत सुनें।

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