जरूरत और जबरदस्ती में अंतर तो समझो ये एक महामारी है इसे मजाक ना समझो- फिरोज अशरफ
आलोक कुमार बर्नवाल
सन्तकबीरनगर। सैयद फिरोज अशरफ ने कहा कि मुझे हल्की खासी आ रही थी स्वयं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सेमरियावां जाकर कोरोना जाँच करवाया तो कुछ दिन बाद स्वास्थ्य विभाग से डॉक्टर फौजिया का फोन आता है आपकी रिपोर्ट पॉज़िटिव पाई गई आप हॉस्पिटल चलेंगे या खुद आइसोलेट होंगे घर पर उन्होंने ने कहा मैं खुद घर पर अपने आपको आइसोलेट कर लिया। गंभीर स्थिति में होने के बाद भी अपना हौंसला नहीं छोड़ा चिकित्सकों की सलाह और दवाइयों के साथ उनके द्वारा बताए गए तमाम उपायों का सही पालन करने से धीरे-धीरे ठीक होते गया। उन्होंने बताया कि आज मैं ईश्वर की कृपा से और अपने तमाम चाहने वालों की दुआ और आशीर्वाद के बदौलत अब मैं बिल्कुल ठीक हूं।
गत दिनों कोरोना वायरस से ग्रस्त गंभीर रूप से सक्रंमित होने के बावजूद अपनी बीमारी को मात देने में सफल रहे अपने तमाम चाहने वाले व स्वास्थ्य विभाग का आभार व्यक्त करते हुए कहते है कि वह उनके सहयोग से ही इस कोरोना को हराने में सफल रहे है वह हंसते हुए कहते है कि अगर हम अपनी हिम्मत बनाए रखें तो भगवान भी हमारी मदद के लिए हमारे साथ खड़ा हो जाता है।
कोरोना से क्या सीखा
सैय्यद फिरोज अशरफ कहते हैं कि कोरोना से लड़ते हुए हमने जो सीखा, वही अन्य लोगों से साझा करना चाहते हैं अगर हम अपने अंदर सकारात्मक सोच पैदा करें, अपनी जिजीविषा बनाए रखें और स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार अपनी दिनचर्या ठीक रखें, तो हम शीघ्र ठीक हो सकते हैं इस तरह कोरोना वायरस से आसानी से जंग जीती जा सकती है।
दिल को छू लेने सैय्यद फिरोज अशरफ की बात
जिस इन्सान के अंदर हौंसला होता है, वह लाख मुसीबतों में घिरा होने के बावजूद सब हासिल कर सकता है हर इन्सान के अन्दर हौंसला होना बहुत ज़रूरी है अपने हौंसले को यह मत बताओ, कि तुम्हारी परेशानी कितनी बड़ी है इसी बजाए अपनी परेशानी को यह बताओ कि तुम्हारा हौंसला कितना बड़ा है।
सैय्यद फिरोज अशरफ
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