पांच दशक पहले मेंहदावल की पहचान से जुड़ा था कारोबार
आलोक कुमार बर्नवाल
संतकबीरनगर। मेंहदावल तहसील क्षेत्र में पांच दशक पहले चल रहा हल्दी का कारोबार दम तोड़ रहा है। कभी यहाँ बड़े पैमाने पर हल्दी का कारोबार होता था।
आज से पांच दशक पहले मेंहदावल में हल्दी का कारोबार जोरो पर चलता था ,कभी यहाँ बड़े पैमाने पर हल्दी की खेती होने के साथ ही मेंहदावल में इसकी मंडी स्थापित थी, जहाँ व्यापार के लिए नेपाल बिहार से लेकर पश्चिम बंगाल तक के व्यपारी आते थे। लेकिन बाजार का अभाव व खेती की लागत लगातार बढ़ने के चलते किसान इससे दूर होते जा रहे है, किसान को सरकार की तरफ से कोई सुविधा न मिलने के कारण यह कारोबार दम तोड़ रहा है। हालांकि किसानों ने यहाँ की जमीन को मुफीद बताते हुए सरकारी प्रोत्साहन की मांग कई बार की लेकिन कोई नतीजा नही निकला।
मेंहदावल के हल्दी और सोंठ के कारोबार से यहाँ के व्यापारियो द्वारा विकास की इबारत लिखी जाती थी। आज जहाँ अंजहिया बाजार स्थित है वहाँ पर जमीन के अंदर व्यापरियों द्वारा गड्ढे खोदकर कूपे बनाए गए थे। इसी में हल्दी को सुरक्षित रखा जाता था। व्यपार के स्तर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है । रामधन साह नामक कस्बा निवासी व्यापारी नेपाल से बैलगाड़ी से आए व्यापारी के चैलेंज देने से पूरा हल्दी खरीद लिए थे। इससे मुनाफे से पक्का पोखरा और शिव मंदिर का निर्माण करवाया था। व्यापारी चंदन बर्नवाल ने कहा कि समय के साथ हल्दी व सोंठ के कारोबार के लिए सहयोग नही मिल सका। आशीष गुप्ता ने कहा की मेंहदावल में हल्दी कारोबार अब दम तोड़ रही है इसका मुख्य कारण सरकार का उदासीन रवैया है। क्षेत्र पंचायत सदस्य रामआशीष चौरसिया ने कहा की प्रत्येक सरकार चुनाव के समय इसको अपना मुद्दा बनाती है लेकिन उसके बाद यह ठंडे बस्ते में चला जाता है।
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