पवन जयसवाल
मनकापुर गोंडा।सोमवार को मशहूर गजल कारा इशरत सुलताना के पुत्र असरफ/ शवाब के शादी पार्टी में साहित्यकारों एवं शायरों ने मुबारकबाद देने की झड़ियाँ लगा दी।
इस अवसर पर खालिद हुसैन सिद्दीकी ने पढ़ा- अल्लाह करे जोड़ी यह रहे सलामत, जब तक जमीन पर आए नहीं कयामत।
डॉ धीरज श्रीवास्तव ने पढ़ा- इनके चमन में हरदम खुशीयां रहा करें, बनकर बयार पुरवा हरदम बहा करें।
चंद्रगत भारती ने पढ़ा- दूल्हा है जैसे सूरज, दुल्हन है चांद सी।
पूजा मन मोहिनी ने पढ़ा- गंगा जमुना में जब तक पानी रहे, दूल्हा दुल्हन की कायम जवानी रहे।
केदारनाथ मिश्र ललक ने पढ़ा- ऐसी गजब है जोड़ी सब को लुभा रही है, सूरज को आएना जैसे दिखा रही।
आरके नारद ने दूल्हा दुल्हन को आशीर्वाद देते हुए पढ़ा- अल्लाह से मेरी बस यही है इबादत, इन चांद के टुकड़ों की जोड़ी रहे सलामत।
डॉक्टर सतीश आर्य ने पढ़ा- दूल्हा है राम जैसा, दुल्हन है जानकी। सूरत लग रही है, जैसे भगवान की।
सायरा इशरत सुल्ताना ने पढ़ा- परवरदिगार से मैं करती यही दुआ, इनको लगे कभी भी कोई न बद्दुआ।
उमाशंकर दुबे उदय ने पढ़ा- खुशहाल जिंदगी में अपने सदा रहें।
पंडित राम हौसिला शर्मा ने पढ़ा- बर वा वधू को मेरी है लाख बधाई, जीवन में कभी इनके आए ना रुलाई।
इसके अलावा कई अन्य कवि और शायरों ने अपने-अपने अंदाज में बधाइयां देकर महफ़िल में चार चांद लगा दिया।
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