वशिष्ठ पीठाधीश्वर डॉ. रामविलास वेदांती जी के सानिध्य एवं डॉ. राघवेश दास वेदांती के मार्गदर्शन में नारायण आश्रम के लग्न मंडप में चल रही श्री राम कथा के चौथे दिन श्री राम जन्म की कथा सुनाते हुए कथा व्यास साध्वी स्मिता दीदी ने कहीं।
उन्होंने कथा के माध्यम से श्रोताओं को जन्म प्रसंग सुनाते हुए कहा कि जन्मतिथि नवमी और विजय दशमी का बड़ा महत्व है। जहां शक्ति होगी, वहां विजय होगा। और शक्ति वहीं विराजमान होती है जहां सत्य यानी धर्म होता है।
कलयुग में भी कुछ लोग अधर्म की सत्ता स्थापित करना चाहते है, समाज के लोग उनके आडम्बर से प्रभावित होकर धर्म के मार्ग से भटक रहे हैं, जिनका विनास निश्चित है।
धर्म एक ऐसा मार्ग है जिस पर चलने वाले लोगों के मदद को स्वयं भगवान दौड़े आते है। अधर्म की सत्ता चलाने वालों का आज क्या हस्र हो रहा उसे सभी लोग देख रहें।
हम जिस प्रभु के जन्म की कथा सुन रहें उनके धर्म की सत्ता पुनः स्थापित हो रही। हमें किसी भी स्थिति में धर्म का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए। जहां धर्म है वहीं विजय है। प्रभु ने अपने अवतार लेने के साथ ही प्राणियों में ज्ञान का संचार कर उन्हें धर्म की शक्ति का एहसास कराना प्रारम्भ कर दिया था।
कथा में श्री राम जन्म के दौरान पंडाल में बैठे श्रोताओं ने पूरे उत्साह के साथ जयघोष व नृत्य कर आनन्द मंगल से उत्सव मनाया। जिसके उपरांत डॉ. रामविलास वेदांती जी के उत्तराधिकारी डॉ. राघवेश दास वेदांती ने भक्तों को अपने आशीर्वचनों से सिंचित किया।
आज मंच का संचालन कौसल प्रसाद मिश्र जी ने किया
इस अवसर पर मनमोहन तिवारी, राजेश तिवारी, राम कथा वाचक स्वामी श्री आनन्द जी महाराज, प्रातः कालीन द्वादश पार्थिव ज्योतिर्लिंग अनुष्ठान के संचालक अवध विहारी पांडेय, रामनारायण दुबे, संजीव झा, आयोजक चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी आदि लोग मौजूद रहें।
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