एस के शुक्ला
प्रतापगढ़। सिक्ख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव जी की 552 वीं जयन्ती प्रकाश पर्व पर अमृत महोत्सव के आयोजन के क्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ,काशी प्रान्त के प्रान्त प्रचारक रमेश जी ने बाबागंज गुरुद्वारा में जाकर मत्था टेका एवं अरदास किया।
गुरुद्वारा समिति के मंजीत सिंह गोविंद एवं मंजीत सिंह छाबड़ा ने सरोपा पहना कर उनका सम्मान किया।इस अवसर पर सिक्ख समाज को संबोधित करते हुए प्रान्त प्रचारक ने कहा कि भारत सनातन परंपरा का संवाहक मृत्युंजय देश रहा है,जिसके निर्माण में सिक्ख समाज की महती भूमिका है।गुरुपुत्रों का भारत और धर्म की रक्षा के लिए बलिदान सम्पूर्ण विश्व मे राष्ट्रधर्म हेतु समर्पण अतुलनीय है।
गुरुओं की महान परंपरा सिक्ख धर्म के साथ भारत की पहचान से जुड़ी हुई है।गुरुओं के बताए मार्ग पर चलकर ही अमृत महोत्सव के स्वत्व जागरण का उद्देश्य पूरा हो सकता है।गुरु नानक देव जिनकी जयन्ती है,वह समाज की पीड़ा को अंगीकार कर दुखों से मुक्ति दिलाने वाले सच्चे महापुरुष थे।
उनका संपूर्ण जीवन मानवता एवं प्रेम का अनूठा उदाहरण है। गुरु नानक ने मनुष्य में आध्यात्मिक चेतना को प्रवृत्त कर ईश्वर से जोड़ने की महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। गुरु नानक देव ने हमें बताया कि ईश्वर की निगाह में न कोई छोटा है न बड़ा जो व्यक्ति अपने अहंकार को त्यागकर अपने को ईश्वर को समर्पित कर देता है, ईश्वर पिता के समान उसका पालन पोषण करता है।
इस प्रकार गुरुओं की बानी हमारे लिए पथ प्रदर्शक का कार्य करती है।इस अवसर पर सिक्ख समाज के साथ डॉ पीयूषकांत शर्मा,चिंतामणि द्विवेदी, प्रतोष, डॉ सौरभ पांडेय, प्रभाशंकर पांडेय, दिनेश अग्रहरि आदि उपस्थित रहे।
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