एस के शुक्ला
प्रतापगढ़। जनपद के समस्त खण्ड विकास अधिकारियों को मुख्य विकास अधिकारी ईशा प्रिया ने निर्देशित किया कि शीत ऋतु में गोवंश की देखभाल बहुत ही सावधानी और उचित तरीके से की जाये।
सर्दियों में पशुओं को ठंड लगने की आशंका रहती है,जिससे पशुओं के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है साथ ही साथ दुग्ध उत्पादन भी प्रभावित होता है।
उन्होने निर्देशित किया कि गौशालाओं में संरक्षित गोवंशों को सर्दी से बचाने के लिये गो-आश्रय स्थल में रात को बोरी या तिरपाल इत्यादि व ज्वार बाजरा की कर्वी एवं टाट बांधकर हवा और सर्दी से बचाव करें।
सर्दियों के दिनों में पशुओं को धूप में बांधे परन्तु ठंडी हवा से बचाव करना जरूरी है। पशुओं के बैठने के स्थान को सूखा रखने का प्रयास करें, पुवाल या कोई नर्म सस्ती तथा पानी सोखने वाली वस्तु द्वारा पशुओं के नीचे फर्श सूखा रहे और साफ-सफाई भी आसानी से हो सके।
पशुओं को ताजा पानी ही पिलाये जो अधिक ठंडा या अधिक गर्म न हो। पशुओं को वरसीन या अन्य हरा चारा खिलाने से पहले थोड़ा सा सुखा चारा खिलाये या वरसीन आदि के चारे को सूखे चारे में मिलाकर खिलाना चाहिये ताकि पशुओं को अफारा न हो।
सर्दियों में रात के समय सूखा चारा खिलाना लाभदायक रहता है इससे पशुओं का तापमान संयमित रहता है। सम्भव हो तो अलाव की व्यवस्था की जाये परन्तु यह ध्यान रखे की आग लगने की सम्भावना न हो।
समय-समय पर डिसइंफेक्टेट का छिड़काव करके आश्रय स्थलों को विसंक्रमित किया जाये। सम्बन्धित पशुचिकित्साधिकारियों के द्वारा समय-समय पर गो-आश्रय स्थलों का भ्रमण किया जाये तथा बीमार होने की सूचना प्राप्त होने पर तत्काल चिकित्सा करायी जाये।
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