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प्रतापगढ़:स्वर्गीय पं•भागीरथी त्रिपाठी के वार्षिकी पर विशेष

स्मृतिशेष पंडित जी ने शिक्षा दान को माना  सबसे बड़ा दान

(एस.के.शुक्ला)

प्रतापगढ़:कुछ लोग अपने जन्म से महान होते हैं, कुछ अपने कार्य एवं उपलब्धियों से महानता अर्जित करते हैं । 


संघर्ष की मिसाल ब्राह्मण कुल के गौरव रहे स्मृतिशेष प्रधानाचार्य पं• भागीरथी त्रिपाठी ऐसे ही मनीषियों में थे, जिन्होंने अपने जीवन काल में अपने सेवा कार्यों से अपार सम्मान प्राप्त किया और परिनिर्वाण के पश्चात यश कीर्ति तथा अमृत्व  प्राप्त किया। 


ऐसी संतान को पाकर माता पिता का जीवन भी धन्य हो जाता है और संसार उनका नाम बड़ी श्रद्धा से लेता है । 


स्वर्गीय प्रधानाचार्य पं•भागीरथी त्रिपाठी जी की माता भगवंती त्रिपाठी तथा पिता पं.रामनाथ त्रिपाठी भी संसार में अपने यशस्वी पुत्र  स्वर्गीय प्रधानाचार्य त्रिपाठी के नाम से नाम पा रहे हैं । 


चिंतक विचारक एवं उद्भट विद्वान स्वर्गीय प्रधानाचार्य त्रिपाठी का जन्म 1 अक्टूबर 1940 ई• को प्रतापगढ़ जिले के क्रांतिकारी धरती तहसील रानीगंज के रखहा बाजार के निकट सराय नानकार गांव में हुआ था, वह  तिथि भी स्मरणीय हो गई है । 


स्वर्गीय प्रधानाचार्य भागीरथी त्रिपाठी अपने जन्म से ही कुशाग्र बुद्धि के थे सभी कक्षाओं में उन्होंने उत्तम स्थान हासिल करते रहे और अपने गुरुजनों के प्रिय रहे। 


इन्होंने हाई स्कूल रानी राजेश्वरी देवी इंटर कालेज दिलीपपुर एवं इंटरमीडिएट के पी हिंदू इंटर कॉलेज प्रतापगढ से उर्तीण किया। 


स्वर्गीय त्रिपाठी के उच्च प्रतिभा को देखते हुए इनके माता-पिता ने इनका दाखिला इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कराया,जहां से स्नातक एवं परास्नातक तथा प्रशिक्षित स्नातक- एलटी की परीक्षा इन्होंने उच्च अंक प्राप्त कर उर्त्तीण कर कीर्तिमान बनाया।


स्वर्गीय प्रधानाचार्य भागीरथी त्रिपाठी जन्मजात शिक्षक रहे शिक्षा दान को उन्होंने सबसे बड़ा दान माना। 


स्वर्गीय त्रिपाठी के पढ़ाई भी विशेष रुप से इनके बड़े भाई पारसनाथ त्रिपाठी एवं चाचा स्वर्गीय रामदीन त्रिपाठी की अहम भूमिका रही। 


स्वर्गीय पंडित भागीरथी त्रिपाठी की प्रतिभा से प्रभावित होकर प्रतापगढ़ जिले में शिक्षा का अलख जगाने वाले स्वर्गीय पंडित मुनेश्वर दत्त उपाध्याय व स्वर्गीय पंडित रामराज शुक्ल एवं स्वर्गीय पंडित रामदुलारे शुक्ल द्वारा आपका चयन प्रधानाचार्य पद सन् 1963 ई०में राम दुलारे इंटरमीडिएट कॉलेज सैफाबाद प्रतापगढ़ के लिए किया। 


प्रधानाचार्य पद पर रहते हुए स्वर्गीय पंडित जी ने सरदार भगत सिंह इंटर कॉलेज सैदाबाद, प्रयागराज के अध्यक्ष पद पर आजीवन रहे। 


इतना नहीं कारवां आगे बढ़ता रहा और  साधन सहकारी समिति चलाकपुर के अध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य परिषद उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष आदि जैसे पदों पर भी सुशोभित किए। 


स्वर्गीय पंडित भागीरथी त्रिपाठी की पत्नी श्रीमती सावित्री त्रिपाठी भी इनके साथ कदम से कदम ताल मिलाते हुए उप प्रधान सरायनानकार एवं ब्लॉक शिवगढ़ की क्षेत्र पंचायत सदस्य के पद पर सुशोभित किया है। 


स्वर्गीय पंडित भागीरथी त्रिपाठी अपने मधुर वाणी से सबके बीच प्रिय रहें हैं। उन्होंने अपने बच्चों तथा परिवार के निर्माण पर विशेष ध्यान रखा सभी पुत्रों एवं पुत्री को उच्च शिक्षा दी। 


स्वर्गीय प्रधानाचार्य पंडित भागीरथी त्रिपाठी के बड़े पुत्र पंडित सुरेश चंद्र त्रिपाठी आज  प्रतापगढ़ जिले के पट्टी तहसील क्षेत्र स्थित आर डी इण्टर कालेज सैफाबाद में शिक्षक कार्य कर रहे और दूसरे पुत्र पंडित उमेश चंद्र त्रिपाठी आज श्याम शंकर इण्टर कालेज,रामगंज, प्रतापगढ़ में वारिष्ठ लिपिक कार्य करते हुए स्वर्गीय पंडित जी के पद चिन्हों पर चलते हुए उनके सामाजिक कार्यों को आगे बढ़ाने में प्रयासरत है। 


छोटे पुत्र पंडित सुनील चंद्र त्रिपाठी आज प्रयागराज जिले के मऊआइमा स्थित जनता इण्टर कालेज में बतौर प्रवक्ता कार्य करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में उच्च ख्याति एंव उपलब्धी हासिल कर रहे हैं।तथा अपनी एकलौती पुत्री ललिता का विवाह अपने जीवन काल में ही प्रतापगढ़ जिले के नरहरपुर अमिलहा निवासी चिकित्साधिकारी सुल्तानपुर रहे पंडित डॉ राम सहाय मिश्र के पुत्र पंडित अरविंद मिश्र के साथ किया,जो आज सउदी अरब में सीनियर चार्टड एकाउंटेंट के रुप में कार्य कर रहे हैं।


इस तरह स्वर्गीय प्रधानाचार्य पंडित जी वर्ष 2001में अवकाश प्राप्त होने के उपरांत सामाजिक कार्यों में अहम भूमिका का निर्वाहन करते हुए

     

 28 जनवरी सन् 2021 ई• स्वर्गीय  पंडित भागीरथी त्रिपाठी का निधन  हो गया, किंतु उनकी  स्मृतियां अमर है । वह हमेशा अपने कार्यों में उल्लेखनीय उपलब्धियों से संसार में प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे । 


उन्होंने महामानव के रूप में जीवन जिया और धर्म से कभी विरत नहीं  हुए स्वर्गीय प्रधानाचार्य त्रिपाठी  को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आज 17 जनवरी 2022 को उनकी वार्षिकी पर पूरा परिवार तथा पूरा समाज उनके पद चिन्हों पर चलने के लिए संकल्पबद्ध है ।

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