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UP ELECTION 2022:बयालिस वर्षों से दो घरानों के बीच सिमट गई यहां की राजनीति, भाजपा को कहीं अपनों से जूझना न पड़ जाए



गोण्डा: कर्नलगंज विधानसभा सीट से 6 बार विधायक रह चुके कुंवर अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया का भाजपा से टिकट कटने के बाद यहां की राजनीति अब करवट लेती नजर आ रही है। 


1980 के दशक से लेकर अब तक इस सीट पर हमेशा दो घर आने का वर्चस्व रहता था। इस बार पार्टी ने अजय सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है। 


जिससे लल्ला भैया के समर्थकों में काफी नाराजगी देखी जा रही है। पार्टी को अंतरकलह से भी जूझना पड़ सकता है। ऐसे में भाजपा का यह दांव कहीं उल्टा ना पड़ जाए।


 कारण लल्ला भैया के अपने बेटे को निर्दल प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतार सकते हैं।




हिंदू महासभा व भाजपा के प्रत्याशी ही अधिकतर जीतते आये हैं। जबकि यहां से कांग्रेस, सपा व बसपा के प्रत्याशी भी जीते हैं।



 इस विधानसभा में पार्टी के सिम्बल पर कम व्यक्तिगत तौर पर प्रत्याशियों के बीच चुनाव होता आया है।


 शुरुआत के वर्षों में इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशियों की जीत हुई है। वहीं ठाकुर मतदाता बहुल होने के कारण यहां पर सबसे ज्यादा विधायक भी इसी जाति से निर्वाचित होते रहे हैं। 


1980 और 1985 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी उमेश्वर प्रसाद सिंह ने जीत दर्ज की। 1989 में निर्दलीय प्रत्याशी कुंवर अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया ने जीत दर्ज की। 


1991 से पहले वह भाजपा में शामिल हो गए। फिर उन्होंने बीजेपी से 1991 में जीत दर्ज की और भाजपा का खाता खोला। 1990 में रामजन्म भूमि का मुद्दा उठने के बाद रामलाहर में 1993 और 1996 के विधानसभा चुनाव में भी वह लगातार चुनाव जीते। 


इस तरह वह लगातार चार विधानसभाओं में निर्वाचित हुए हैं। 2002 में बसपा से योगेश प्रताप सिंह ने जीत दर्ज की। इस बीच करनैलगंज में उप चुनाव हुआ, जिसमें लल्ला भैया की बहन कुंवरि बृज सिंह विधायक चुनी गईं।


 

2007 में कांग्रेस के प्रत्याशी अजय प्रताप सिंह ने जीत दर्ज की। वहीं 2012 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बसपा छोड़ सपा में आये सपा प्रत्याशी योगेश प्रताप सिंह ने दूसरी बार जीत दर्ज की। 


2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी कुंवर अजय प्रताप सिंह भाजपा लहर में विजयी हुए। 


करनैलगंज विधानसभा क्षेत्र में एक लंबे समय से दो ही घरानों के बीच राजनीति का सफर चलता रहा। 


वहीं इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपने विधायक कुंवर अजय प्रताप सिंह के बजाय अजय कुमार सिंह को मैदान मिलाकर लोगों को चौंका दिया है।



6 बार विधायक रह चुके कुंवर अजय प्रताप सिंह से भाजपा ने किया बाय-बाय


भाजपा विधायक का टिकट कटने के बाद अब इस विधानसभा क्षेत्र के चुनाव की स्थिति भी बदलती नजर आ रही है। 


टिकट बंटवारे को लेकर एक बार फिर कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र के सांसद बृज भूषण शरण सिंह का कद ऊंचा दिखाई दे रहा है। 


वहीं छह बार विधायक रहे कुंवर अजय प्रताप सिंह लल्ला भैया का टिकट काटकर पंचायत चुनाव से सुर्खियों में आए अजय कुमार सिंह को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी भितरघात के मुहाने पर आ गई है। 


यहां तो भाजपा को कहीं अपनों से ही जूझना ना पड़ जाए


भाजपा को अब उनके अपनों से ही खतरा बनता जा रहा है। हालांकि पंचायत चुनाव में विधानसभा करनैलगंज के परसपुर ब्लॉक से ब्लाक प्रमुख का पद जीतने वाले अजय कुमार सिंह पंचायत चुनाव के बाद ही सुर्खियों में आए और उन्हें भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने हाथों हाथ लेते हुए करनैलगंज में भाजपा प्रत्याशी का रूप देने में लगे हुए थे। 


दूसरी तरफ करनैलगंज में 6 बार विधायक रहे कुंवर अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया खुद का स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण खुद के साथ-साथ अपने बेटे कुंवर शारदेन मोहन सिंह को टिकट दिलाए जाने की पैरवी करते रहे। 


मगर शुक्रवार को पार्टी द्वारा जारी की गई सूची में अजय कुमार सिंह का नाम आने के बाद सारी अटकलों पर विराम लग गया। 


टिकट बंटवारे के बाद करनैलगंज विधानसभा क्षेत्र में भाजपा दो खेमों में बंटती नजर आ रही है। जिससे भाजपा प्रत्याशी को अपनों से ही जूझना पड़ सकता है और पार्टी इस विधानसभा क्षेत्र में भितरघात के मुहाने पर आ गई है। 


हालांकि दो ब्लॉकों में बंटे इस करनैलगंज विधानसभा क्षेत्र में क्षेत्रवाद भी चल सकता है। 


जिसमें भी भाजपा का दांव उल्टा हो सकता है। भाजपा अब योगी और मोदी के मुद्दे पर चुनावी जंग के लिए मैदान में आ चुकी है।

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