सुनील गिरि
हापुड़: आगामी 17 मार्च को होली का पर्व है ओर होली के तुरंत बाद 18 मार्च को रंगों का दिन आता है।
जैसे ही रंगों का पर्व होली नजदीक आता है वैसे ही नगर के बाजार रंग, गुलाल और पिचकारियों से सज जाते हैं।
हालांकि अभी इनकी बिक्री कम देखने को मिल रही है, लेकिन दुकानदारों व कारोबारियों को उम्मीद है कि होली से दो दिन पहले बाजार जरूर तेजी पकड़ेगा।
व्यापारियों का मानना है कि कोरोना की दहशत खत्म होने के बाद पूरे दो साल बाद लोग खुलकर होली खेलने के लिए खासे उत्साहित नजर आ रहे हैं, लोगों को इस प्रकार उत्साहित देख व्यापारियों के चेहरे भी खिले हुए दिखाई दे रहे हैं।
हालांकि जिस प्रकार अभी महंगाई आसमान छू रही है और होली के प्रोडक्ट भी पहले के मुकाबले काफी महंगे हैं इसको लेकर दुकानों पर ग्राहकों का आना जाना कम नजर आ रही है जिसकी वज़ह से व्यापारी भी एक तरफ चिंतित दिखाई दे रहे है।
हालांकि व्यापारियों का मानना है कि अभी होली के त्यौहार में समय है लेकिन जिस प्रकार कोरोना काल के बाद लोगों में एक बार फिर खुलकर होली खेलने का मन है तो उसे देखकर दुकानदारों को आस है कि इस बार उनका व्यापार अच्छा रहेगा।
विजयी पार्टी के समर्थक व युवाओं में नजर आ रहा खास उत्साह
वही बात करें विधानसभा चुनाव की तो इस बार विधानसभा चुनाव में विजयी पार्टी के समर्थक इस बार होली को और भी यादगार बनाने की तैयारी कर रहे हैं, बता दें कि वैसे भी होली का त्यौहार उल्लास और मस्ती का प्रतीक माना जाता है इसे लेकर युवाओं में खास उत्साह नजर आ रहा है।
रंग-गुलाल, पिचकारी सहित खाने पीने के सामान से सजा बाजार
होली में अभी कई दिन बाकी हैं, लेकिन नगर के बाजार में होली के दिन परोसे जाने वाले खाने-पीने के सामान के अलावा रंग-बिरंगे गुलाल और पिचकारियाें से सजे हुए नजर आने लगे।
तरह-तरह के मुखौटे और मस्ती का अन्य सामान भी दुकानों पर दिखाई दे रहा है। हालांकि दुकानदारों का कहना है अभी बिक्री कुछ खास नहीं है, लेकिन उम्मीद है की त्योहार से पहले खरीदारी जरूर तेज होगी।
होली दहन के लिए एकत्रित होने लगी लकड़ियां, जाने कौन सी लकड़ी है शुभ
घरों में महिलाओं ने होलिका दहन के लिए गोबर की गूलरी बनानी भी शुरू कर दी हैं। नगर के चौराहों और निर्धारित स्थानों पर भी होलिका दहन के लिए लकड़ियां रखी जाने लगी हैं।
होलिका दहन के लिए महीने भर पहले से ही लोग लकड़ियां एकत्र करने लगते हैं। लेकिन हर पेड़ की लकड़ियां भी आप दहन के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र की माने तो पीपल, शमी, आंवला, नीम, आम, केले और बेल की लकड़ियों का इस्तेमाल नही करनी चाहिए।
ये सभी पेड़ सनातन धर्म में विशेष महत्व रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि होलिका दहन में गूलर और अरंडी के पेड़ की लकड़ियां इस्तेमाल करना शुभ होता है। इस मौसम में गूलर की टहनियां खुद-ब-खुद सूखकर गिर जाती हैं, इसलिए उसका इस्तेमाल करना अच्छा है।
इसके अलावा आप होलिका दहन में गाय के गोबर के उपले और कंडे भी जला सकते हैं, ये काफी शुभ होता है।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ