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गन्ने की मिठास से तरक्की की ओर बढ़े किसानों के कदम

सुनील उपाध्याय

बस्ती।जिले के चीनी उद्योग को मुण्डेरवा मिल ने एक अलग पहचान दिलाई है। योगी सरकार के पहल पर चीनी मिल की स्थापना के बाद से गुजरे तीन वर्ष में यहां की बदली तस्वीर का नतीजा है कि गन्ने की मिठास जहां बढ़ी है,वहीं किसानों की आमदनी बढ़ने से सेहत सुधरी है। जिसका नतीजा साफ है कि किसानों की आय बढ़ाने की सरकारी मंशा साकार होने लगी है। साथ ही मिल को गन्ना आपूर्ति का औसत भी बढ़ा है।


गन्ना उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ किसानों की खुशहाली व चीनी की उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से चार वर्ष पूर्व उठाए कदम का असर दिखने लगा है। अंतरराष्टीय बाजार में मांग के अनुसार सल्फरलेस चीनी उत्पादन के दिशा में मुंडेरवा मिल के पहल से एक बड़ी उम्मीद जगी है। साथ ही प्रति हेक्टेयर गन्ने की उपज बढ़ने से किसानों की आय में भी वृद्धि हुई है।


गन्ना आपूर्ति के औसत में हुई बढ़ोतरी

चीनी मिल को मांग के अनुसार गन्ने की आपूर्ति करने पर जोर देने का असर दिखने लगा है। आंकड़ों में देखें तो मौजूदा पेराई सत्र में 10 मार्च दिन गुरूवार तक 35 लाख 46 हजार 054.03 कुंतल गन्ने की आपूर्ति किसानों द्वारा की जा चुकी है। अभी एक सप्ताह से भी अधिक दिनों तक मिल में गन्ने की पेराई होने की उम्मीद है।


 शासन द्वारा गन्ना विकास के लिए नामित कार्यदाई संस्था एलएसएस की टीम के प्रयास का नतीजा है कि इस बार गन्ने का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 644.84 कुंतल हुआ है। जबकि पिछले पेराई सत्र में 620.56 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिल पाया था। निर्धारित सटटा के आधार पर आपूर्ति प्रतिशत ड्राल 50.22 प्रतिशत रहा है। यह आंकड़ा विगत पेराई सत्र में 46.96 प्रतिशत रहा। जबकि पिछले पेराई सत्र के अंत तक मिल को 34 लाख 69 हजार 621.56 कुंतल गन्ने की ही आपूर्ति हो पाई थी। साथ ही औसत उत्पादन भी कम हुआ।


मौसम की मार के बाद भी किसानों ने दिखाई हिम्मत

मुण्डेरवा चीनी मिल परिक्षेत्र का एक बढ़ा हिस्सा जलजमाव वाला है। जिससे गन्ने के फसल पर प्रतिकुल असर पड़ता है। वर्ष 2021 के जनवरी से दिसंबर माह तक 1607 मिली लीटर वर्षा रिकार्ड किया गया। जबकि इस माह के अंतराल में वर्ष 2020 में यह आंकड़ा 1411 मिली लीटर रहा। प्रतिकुल मौसम में कार्यदाई संस्था एलएसएस की टीम के प्रयास का नतीजा रहा कि शरदकालीन मौसम में गन्ने की बुवाई के प्रति किसानों ने भी उत्साह दिखाया। जलजमाव वाले हिस्से में बुवाई के लिए कार्यदाई संस्था के कर्मीयों के सहयोग से किसानों ने गन्ने की नर्सरी तैयार की। लिहाजा जलजमाव समाप्त होने के बाद उन इलाकों में गन्ने के पौधे की किसानों ने रोपाई की। जिससे आनेवाले वर्षों में गन्ने की पैदावार और बढ़ने के आसार हैं।



सल्फरलेस चीनी की विश्व बाजार में है मांग

सल्फरलेस चीनी तैयार करनेवाले कंपनियों में चीनी मिल मुण्डेरवा प्रमुख है। इस चीनी की खुले बाजार में आपूर्ति के साथ ही बिस्कुट,शीतल पेय से जुड़ी कंपनियों के अलावा अन्य क्षेत्रों में मांग रहती है। चीनी मिल के चीफ केमिस्ट आरकेएस संेगर कहते हैं कि सामान्य चीनी बनाने के लिए जो तकनीक इस्तेमाल होती है,उसमें गन्ने के रस को साफ करने के लिए चूने के साथ सल्फर डाईआक्साइड का इस्तेमाल किया जाता है। इस वजह से सल्फर डाईआक्साइड का अंश भी आ जाता है। यह लीवर और स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदायक होता है।सामान्य चीनी में कैलोरी की मात्रा अधिक और आयरन कम होती है।


सामान्य चीनी को महीन बनाने के लिए सल्फर इस्तेमाल होता है।दूसरी तरफ सल्फर रहित चीनी के उत्पादन मेे चूने के साथ सल्फर डाईआक्साइड का इस्तेमाल नहीं होता है। इसमें फास्फोरिक एसिड का प्रयोग किया जाता है। इससे चीनी में कैलोरी की मात्रा कम रहती है और 20 से 30 फीसदी उत्पादन खर्च कम आता है।विदेशों में सल्फर युक्त चीनी प्रतिबंधित है।सल्फर फ्री चीनी को ब्राउन शुगर से भी बेहतर कहा जाता है।


पांच वर्ष पूर्व चीनी का अंतर्राष्ट्रीय मानक तय किया गया। चीनी की गुणवत्ता सुधारने के लिए भारतीय स्माल और सुपर स्माल ग्रेड की चीनी की माड्यूलेटेड रिफलेक्टेंस यानी उसकी एमआर वैल्यू को बढ़ाया है। एक्सपर्ट कमेटी ने चीनी की इकमसा (इंटरनेशनल कमीशन फॉर यूनिफार्म मेथड्स ऑफ शुगर एनालिसिस) वैल्यू तय करती है। यह वैल्यू अंतर्राष्ट्रीय स्टैंडर्ड को प्रदर्शित करती है। इसके मुताबिक मुण्डेरवा मिल में 28 इकमसा की चीनी तैयार की जा रही है।


चीनी के साथ बिजली का भी हो रहा उत्पादन

चीनी मिल मुण्डेरवा में 27 मेगावाट बिजली उत्पादन का संयंत्र स्थापित है। मिल ने मौजूदा वर्ष के फरवरी के प्रथम सप्ताह तक 28 हजार 671 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया था। जिसमें से 18 हजार 488 मेगावाट बिजली पावर ग्रीड को बेची गई। वर्ष 2020-21 में 28 हजार 507 मेगावाट बिजली बेची गई थी। इससे मिल को अतिरिक्त आय प्रति वर्ष होती है। जिससे किसानों को समय से गन्ने का भुगतान करने में मदद मिलती है।


कर्मचारियों के प्रयास व किसानों के उत्साह से बेहतर नतीजा

चीनी मिल की कार्यदाई संस्था एलएसएस के गन्ना सलाहकार एसपी मिश्र ने कहा कि शासन की मंशा किसानों को गन्ने के फसलों का बेहतर दाम दिलाने की है। इसे देखते हुए हमारे कर्मचारी प्रति हेक्टेयर गन्ने की पैदावार बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। जिसका नतीजा प्रति हेक्टेयर उत्पादन में वृद्धि के रूप में दिखने लगा है।



 हमारे फील्ड कर्मी गन्ने के बीजों के चुनाव करने व उसकी आपूर्ति करने,रसायन व कीटनाशक का अनुदान पर मुहैया कराने व तकनीकी सलाह के साथ साथ वैज्ञानिक विधि से खेती करने तथा पेड़ी प्रबंधन करने में मदद करते हैं।साथ ही हमारा जोर रहता है कि किसान सहफसली खेती करें। जिससे की गन्ने की बुवाई में आनेवाला खर्च किसान को अतिरिक्त फसल से ही हासिल हो जाए।



चीनी मिल ने मौजूदा पेराई सत्र से इस बार अब तक अधिक गन्ने की पेराई की है। इसमें आनेवाले वर्षों में और सुधार होगा। अधिक गन्ना आपूर्ति से बिजली का उत्पादन भी बढ़ेगा। गन्ना विकास विभाग के प्रयास से किसानों की वैज्ञानिक ढंग से गन्ने की खेती के प्रति रूझान बढ़ा है। इसका असर आनेवाले वर्षों में और देखने को मिलेगा।

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