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गोण्डा:आवंटी व्यापारियों को महज़ नोटिस थमा कर अपना दामन बचा रहे है अधिकारी

रजनीश/ज्ञान प्रकाश

करनैलगंज(गोंडा)। करनैलगंज की संयुक्त अनाज, सब्जी व फल मंडी अवैध अतिक्रमण से कराह रही है। लाइसेंस धारक व्यापारी परेशान हैं। 


दुकानों का आवंटन कहीं और व्यापार कहीं और चल रहा है। तमाम आवंटी व्यापारी सरकार को किराया 8 सौ से 1 हजार तक देते हैं और दुकान किराए पर देकर पांच हजार वसूली करते हैं। तथा खुद की दुकान फुटपाथ पर लगाते हैं। 


अवैध दुकानदारों से अवैध वसूली के चलते चार वर्ष से कार्रवाई न करके नोटिस थमाकर अधिकारी अपना दामन बचा रहे हैं। 


वहीं लाइसेंस धारक व्यापारी मंडी बनने के बाद से ही समस्या को झेल रहे है। करनैलगंज की मशहूर गल्ला एवं सब्जी की मंडी प्रशासन की लापरवाही पूर्ण नीतियों के चलते अवैध दुकानदारों के अतिक्रमण का शिकार बन गई है। 


इस मंडी में अनाज एवं लकड़ी के 77 लाइसेंस धारी, सब्जी व फल के 108 लाइसेंस धारी हैं। मगर किसी भी लाइसेंस धारक का व्यापार आवंटित दुकानों में नहीं हो रहा है। 


गल्ला व्यापारियों की दुकानें करीब 12 वर्ष पूर्व ही आवंटित कर दी गई हैं। जिसमें व्यापारी सुविधाओं की मांग करते हुए लगातार प्रशासन को पत्र दे रहे हैं मगर उन्हें सुविधाएं मुहैया नहीं कराई जा रही है। 


इसलिए क्षेत्र के गल्ला व्यापारी मंडी में अपना व्यापार नहीं कर रहे हैं। बल्कि उनको आवंटित की गई दुकानें बंद है और उसका किराया मंडी समिति द्वारा वसूल किया जा रहा है। 


सब्जी व फल के आढ़ती सदरुद्दीन राइनी, जमील अहमद राइनी, शेषपाल मौर्या, पीर गुलाम राइनी फल आढ़ती, अनिल मौर्या,  मोहम्मद अशफाक राइनी का कहना है कि मंडी की हालत बेहद खराब है। 


यहां सुविधा के नाम पर कुछ नही है। केवल व्यापारियों का शोषण होता है। यहां व्यापार न करें तो व्यापारी कहाँ जाएं। 


लाइसेंस धारी व्यापारियों से दुकान का किराया वसूला जाता है। उन्हें कोई भी सुविधा नही दी जा रही है। करनैलगंज मंडी में फल एवं सब्जी के 108 लाइसेंस धारी हैं। जिसमें से मात्र आधा दर्जन व्यापारी ही अपने आवंटित दुकानों में व्यापार कर रहे हैं। 


बाकी करीब 100 व्यापारी आवंटित दुकानों में व्यापार न करके चबूतरे पर या मंडी के मार्ग पर अपनी दुकान चला रहे हैं और अधिकांश व्यापारी इस तरह है जो मंडी में व्यापार कर ही नहीं रहे हैं। 


उनकी जगह पर अवैध दुकानदारों द्वारा अपना व्यापार संचालित किया जा रहा है। जिससे मंडी समिति को होने वाला सरकारी लाभ नहीं मिल रहा है। 


बल्कि निजी लाभ के लिए मंडी कर्मचारियों द्वारा उनकी दुकानों का संचालन कराया जा रहा है। 



तीन वर्ष पहले मंडी में करीब दो दर्जन नई दुकानें बनाई गईं। जिसका आवंटन भी हो चुका है मगर व्यापारी उस दुकान में व्यापार न करके खाली पड़ी जमीन पर टट्टर व छप्पर, टीनशेड के नीचे दुकान चला रहे हैं जिससे मंडी में चौतरफा अवैध तरीके से अतिक्रमण फैला हुआ है।



मंडी समिति के अध्यक्ष/उपजिलाधिकारी हीरालाल कहते हैं कि जो सब्जी व फल व्यापारी आवंटित दुकानों में व्यापार करने के बजाय अन्यत्र व्यापार करते हैं। इसकी जांच करा ली गई है। व्यापारियों को नोटिस जारी की गई है। स्वतः अवैध कब्जा हटाने के आदेश दिए गए हैं। एक सप्ताह के भीतर यदि व्यापारी अपनी आवंटित दुकानों में नही गए तो बुल्डोजर लगा कर अवैध अतिक्रमण को खाली कराया जाएगा।

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