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परिषदीय विद्यालय में पाठ्य पुस्तकों का टोटा,फिर भी चलाया जा रहा है नामांकन अभियान



रजनीश/ ज्ञान प्रकाश

करनैलगंज(गोंडा)। घर में नही हैं दाने, अम्मा चली....... की तर्ज पर बेसिक शिक्षा विभाग काम पर जुटा हुआ है। 


नए शिक्षा सत्र की शुरूआत हुए एक माह से अधिक समय बीत चुका है, मगर अब तक प्राथमिक व जूनियर स्तर के परिषदीय विद्यालय में पाठ्य पुस्तकों का टोटा है। 


स्कूल चलो अभियान, नामांकन अभियान चलाया जा रहा है नामांकन भी हो रहे हैं मगर स्कूलों में व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं हैं। 


आलम यह है कि परिषदीय स्कूलों में छात्र नामांकन बढ़ाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। नामांकित 4 लाख छात्रों को निशुल्क पाठ्य पुस्तकें नहीं उपलब्ध कराई जा सकी हैं। 


इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। जिले में 2611 परिषदीय स्कूलों का संचालन हो रहा है। इसमें 1709 प्राथमिक व 902 उच्च प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं। 


इनमें पढ़ाई कर रहे छात्रों को नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराई जाती हैं। इसके साथ ही अशासकीय सहायता प्राप्त व राजकीय विद्यालयों में कक्षा एक से आठ के विद्यार्थियों को भी पाठ्य पुस्तकें दी जाती हैं। 


इस सत्र में अभी तक पाठ्य पुस्तक वितरण को लेकर कोई प्रबंध नहीं हो सका है। छात्र बिना पुस्तकों के ही पढ़ाई करने जाते हैं। स्कूल में बैठकर गृह कार्य लेकर वापस लौट जाते हैं। 


घर पर भी वह पुस्तकों से पढ़ाई नहीं कर सकते हैं। अध्यापकों को पुरानी पुस्तक जमा कराने के लिए कहा गया था। 


इसका ही छात्रों में वितरण करना था, पुरानी पुस्तकों को कुछ विद्यार्थियों को वितरित किया गया। जबकि कई स्कूलों में विद्यार्थियों के पास पुस्तकें नहीं हैं। ऐसे में अध्यापक परेशान हैं। 


किसी तरह से विद्यालय का संचालन कर रहे हैं। इसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। बेसिक शिक्षा अधिकारी अखिलेश प्रताप सिंह ने बताया कि गत वर्ष की पाठ्य पुस्तकों को जमा करने का निर्देश दिया गया है। नई किताब आने तक छात्र उससे ही पढ़ाई करेंगे।



शासन ने चालू सत्र में जिले को 83 हजार छात्र नामांकन का लक्ष्य दिया है। इसके लिए परिषदीय अध्यापकों ने कसरत शुरू कर दी है। गांव में अभियान चलाया जा रहा है। अभिभावक पुस्तक को लेकर सवाल करते हैं। 


यही नहीं, कई अभिभावक डीबीटी के तहत रुपये न मिलने की भी शिकायत करते हैं। नए नामांकन कराने में शिक्षा विभाग व शिक्षकों को मशक्कत करनी पड़ रही है।

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