प्लास्टिक की पन्नी के नीचे जीवन यापन कर रहे लाभार्थी ने गरीबी का हवाला देकर आवास पाने की छोड़ी आस
आयुष मौर्या
धौरहरा-लखीमपुरखीरी:धौरहरा ब्लॉक के गांव चहमलपुर में प्लास्टिक की पन्नी के नीचे गुजर बसर कर रहे बुजुर्ग दंपति का ब्लॉक से जारी आवास पात्रता सूची में नाम प्रकाशित होने के बाद ग्राम प्रधान पति द्वारा मांगी गई रकम की शिकायत मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर होने के बाद ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा लगाई गई आख्या में उसका सूची से नाम ही कट गया।
जिसको देख बुजुर्ग दंपति अपनी गरीबी का हवाला देकर अब आवास पाने की आस ही छोड़ दी है।
धौरहरा ब्लॉक की ग्राम पंचायत चहमलपुर निवासी दशरथ पुत्र मोती गांव में घास फूस व प्लास्टिक की पन्नी के नीचे गुजर बसर कर रहे है।
जिनका नाम ब्लॉक से जारी प्रधानमंत्री आवास योजना की सूची में होने के बाद भी आजतक उनको आवास का लाभ नहीं मिल सका। इस बाबत जब दशरथ ने ग्राम प्रधान से बात की तो ग्राम प्रधान सहेली के पति भज्जू ने उनके सामने 20,000 रुपये की डिमांड रख दी।
साथ ही यह भी बताया था कि जबतक पैसों की व्यवस्था नहीं करोगे तबतक इसी झोपड़ी में रहोगे। जिसकी शिकायत दशरथ ने मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर कर दी। साथ ही मामले को अमृत विचार ने प्रमुखता से प्रकाशित किया तो ब्लॉक में अफ़रातफ़री मच गई।
ग्राम पंचायत अधिकारी राममिलन ने आनन फानन में पोर्टल पर यह रिपोर्ट लगा दी कि दशरथ पुत्र मोती का नाम प्रधानमंत्री आवास सूची में है ही नहीं जबकि खंड विकास अधिकारी कार्यालय व ग्राम पंचायत अधिकारी राममिलन के संयुक्त हस्ताक्षरों से जारी सूची में दशरथ का नाम क्रम संख्या 21 पर दर्ज है जिसकी आवास आईडी नम्बर-142831548 दर्ज है।
बावजूद ग्राम पंचायत अधिकारी राममिलन ने पोर्टल पर लगाई गई आख्या में दशरथ का नाम सूची में न होने की बात कह शिकायत का निस्तारण कर दिया।
जिसको देख असहाय दशरथ अब अपनी गरीबी का हवाला देकर आवास पाने की आस छोड़ बैठे है। वहीं इस बाबत ग्राम पंचायत अधिकारी राममिलन अब यह कह रहे है कि कम्प्यूटर में फीड सूची में दशरथ का नाम धोखे से डिलीट हो गया है,जिससे उनको आवास का लाभ नहीं दिया गया, अब जब दुबारा आवास योजना का टारगेट आएगा तब उनका नाम शामिल कर आवास का लाभ दिया जायेगा। इससे तो यह अंदाजा लगाया ही जा सकता है कि सरकार द्वारा गरीबों के लिए चलाई जा रही योजनाओं में भ्रस्टाचार किस कदर व्याप्त है।
अब देखना यह होगा कि प्लास्टिक की पन्नी के नीचे जीवन यापन कर रहे दशरथ को आवास मिलेगा भी पूर्व की भांति झोपड़ी में ही जीवन गुजरना पड़ेगा।
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