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पार्टी मुख्यालय में घुसकर कांग्रेस नेताओं से मारपीट देश के लिए सबसे शर्मनाक घटना:प्रमोद तिवारी



राज्यसभा सांसद ने केन्द्र सरकार के इशारे पर दिल्ली पुलिस द्वारा वरिष्ठ नेताओं के साथ बर्बरता करने का लगाया आरोप

गौरव तिवारी

लालगंज, प्रतापगढ़। राज्यसभा सांसद व केन्द्रीय कांग्रेस वर्किग कमेटी के सदस्य प्रमोद तिवारी ने नई दिल्ली स्थित कांग्रेस पार्टी के मुख्यालय में केंद्र सरकार के आधीन काम करने वाली दिल्ली पुलिस द्वारा कांग्रेस नेताओं के साथ मारपीट व अभद्र व्यवहार की घटना को भारतीय लोकतंत्र के लिए सबसे शर्मनाक दिन करार दिया है। 


उन्होंने कहा कि देश की आजादी के बाद की यह सबसे शर्मनाक घटना है जिसमें केंद्र सरकार के इशारे पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ बर्बरतापूर्वक व्यवहार किया गया। 


श्री तिवारी ने कहा कि वास्तविक मुददों से ध्यान हटाने के लिए भाजपा सरकार द्वारा बदले की भावना से यह कार्रवाई की गयी है। 


गुरूवार को मीडिया प्रभारी ज्ञानप्रकाश शुक्ल के हवाले से जारी प्रेस विज्ञप्ति में राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने सांसद राहुल गांधी द्वारा ईडी की पूछताछ में सहयोग नही करने के आरोपों का पूरी तरह से खण्डन किया है। 


उन्होनें कहा कि सांसद राहुल गांधी तो ईडी के बुलावे पर पूछताछ के लिए स्वयं ही जा रहे हैं। उन्होनें विभिन्न दलों के सांसदों वाली पार्लिमेण्ट्री कमेटी का गठन किये जाने की मांग उठाई है। 


उन्होंने सवाल पूछा कि क्या केन्द्र सरकार सर्वोच्च न्यायालय जाकर श्रीलंका के इलेक्ट्रिकल बोर्ड के चेयरमैन द्वारा किये गये खुलासा जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अडानी को पॉवर प्लाण्ट कान्टैªक्ट देने की सिफारिश के आरोपों वाली जांच करायेगी। 


केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए सांसद प्रमोद तिवारी ने स्विटजरलैण्ड में चोकसी भाई से प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात के बाद पीएम द्वारा चोकसी भाई को मित्र कहना और बाद में चोकसी ब्रदर्स द्वारा बीस हजार करोड़ रूपये लेकर फरार होने की जांच भी कराने की मांग की है। 


प्रमोद तिवारी ने फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति द्वारा उद्योगपति अनिल अंबानी पर दिये गये बयान और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से गले मिलने के मामले में पत्रकार बरखा दत्त की पुस्तक के मुताबिक यह मीटिंग संजय जिंदल द्वारा कराये जाने के मामले की भी जांच कराने के लिए केन्द्र सरकार को सर्वोच्च न्यायालय जाने की सलाह दी है। 


सांसद प्रमोद तिवारी ने इन मुद्दों पर सीधे सवाल उठाया कि क्या केन्द्र सरकार सर्वोच्च न्यायालय जाकर अथवा संयुक्त संसदीय समिति का गठन कर इन मामलों की जांच कराये जाने को तैयार होगी।

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