रजनीश/ज्ञान प्रकाश
करनैलगंज(गोंडा)। एक अस्पताल ऐसा है जहां न बिजली है न पानी है, न मरीजों के बैठने की व्यवस्था न अस्पताल तक जाने का रास्ता है।
बरसात के दिनों में कर्मचारी ड्यूटी करने घुटनों तक पानी में चलकर जाते है और मरीजों का टोटा रहता है।
कहने को तो आम लोगों के लिये सरकार द्वारा उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाएं चकाचक है। हकीकत में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की हालत खस्ता है।
मरीजों का इलाज करने वाला अस्पताल खुद ही बेंटीलेटर पर नजर आ रहा है। तमाम मूलभूत सुबिधाएं तो दूर की बात है यहां अभी तक रास्ता, बिजली व पानी, मरीजों के बैठने की व्यवस्था का आभाव है।
ऐसे में भला आम आदमी को स्वास्थ्य सुविधाएं कैसे उपलब्ध हो सकती है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र चकरौत करनैलगंज परसपुर मार्ग से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर है।
अस्पताल की ओर रुख करते ही कच्चे रास्ते की शुरुआत हो जाती है। यह केन्द्र चकरौत गांव के बगीचे में स्थित है। बरसात में यहां तक पहुंचना टेढ़ी खीर है।
किसी तरह अस्पताल पहुंचने पर पता चला कि यहां बिजली भी नहीं है। प्यास लगने पर पता चला कि यहां लगा नल पीने लायक पानी ही नहीं दे रहा है। यहां मौजूद फार्मेसिस्ट शिवमंगल सिंह मरीज देख रहे थे।
तो वहीं यहां तैनात डाक्टर कोमलराज छुटटी पर है। वार्ड व्वाय श्रवन कुमार व स्टाफनर्स रोशनी कटियार मौजूद मिले।
मौजूद स्टाफ ने बताया कि सुबह 8 बजे से 2 बजे तक करीब 30 मरीजों का उपचार किया गया। जांच की कोई व्यवस्था नहीं है।
यहां इलाज के लिये आयी सपना निवासिनी उसरा ने बताया कि शरीर में सूजन है। इलाज के लिये आयी थी पर डाक्टर साहिबा छुटटी पर है।
तो वहीं उमाशंकर कंजेमऊ को बेहोशी की समस्या थी। मौजूद स्टाफ इलाज में लगा दिखा। मरीजों को दवा के नाम पर सिर्फ लाल, नीली, पीली, हरी गोलियां ही उपलब्ध है।
मरीजों ने बताया कि इतनी भीषण गर्मी में अस्पताल में ठहरना तक मुश्किल हो रहा है। अस्पताल के भवन की हालत भी खराब है।
रंगाई पुताई के आभाव में अस्पताल पुरानी हवेली दिखायी दे रहा है। जगह जगह प्लास्टर उजड़े है। कुल मिलाकर आम जनता को सरकारी इलाज का दावा यहां दम तोड़ता नजर आया।
ग्रामीणों ने तमाम बार पीएचसी व आयुर्वेदिक अस्पताल तक जाने वाले रास्ते व पेयजल के लिए हैंडपंप की व्यवस्था कराने की मांग की मगर कोई व्यवस्था नही हो पाई।
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