अखिलेश्वर तिवारी/वेद मिश्र
जनपद बलरामपुर जिला मुख्यालय के खलवा मोहल्ला स्थित आर्य समाज के क्षेत्रीय कार्यालय ओम भवन पर हिंदू साम्राज्य दिवस के उपलक्ष में चल रहे साप्ताहिक राष्ट्र रक्षा महायज्ञ का समापन रविवार की शाम पूर्णाहुति के साथ किया गया । समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि विधायक सदर पल्टूराम मौजूद रहे ।
आर्य समाज के मंडलीय संयोजक आर्य अशोक तिवारी ने 20 जून को बताया कि आज से 348 वर्ष पूर्व सन 1674 में मुगल साम्राज्य का अंत करने के बाद जेष्ठ शुक्ल त्रयोदशी को छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ था । तभी से जेष्ठ शुक्ल त्रयोदशी को हिंदू साम्राज्य दिवस के रुप में मनाया जाता रहा है । इस वर्ष 12 जून को जेष्ठ शुक्ल त्रयोदशी थी और उसी दिन से ओम भवन में साप्ताहिक राष्ट्र रक्षा यज्ञ का कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया । राठौर रक्षा महायज्ञ का समापन पूर्णाहुति के मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री व सदर विधायक पलटू राम तथा विशिष्ट अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि श्याम मनोहर तिवारी व अन्य कई अध्यक्ष द्वारा किया गया । उन्होंने बताया कि पूर्णाहुति के ब्रह्मा वेद वेदांग विद्यापीठ गुरुकुल धनपतगंज, सुल्तानपुर के अधिष्ठाता आचार्य शिवदत्त पांडे रहे, जिन्होंने अपने उद्बोधन में बताया कि आर्य समाज के शुद्धिकरण आंदोलन का यदि हिंदू समाज और विशेषकर कश्मीर के लोग साथ दिए होते तो आज हिंदुस्तान की यह दुर्दशा ना होती । उन्होंने कहा कि अधिकांश मुस्लिम परिवार शुद्ध होकर हिंदू बन गए होते। हिंदुस्तान में जितने भी मुसलमान हैं, लगभग सभी के पूर्वज हिंदू ही है । इसलिए सभी मुस्लिम भाइयों को आगे आकर पुनः घर वापसी करके वैदिक धर्म स्वीकार कर लेना चाहिए। मुख्य यजमान, मुख्य अतिथि तथा विशिष्ट अतिथि ने गुरुकुल के आचार्य व ब्रह्मचारियों को अंग वस्त्र तथा पुष्प माला भेंट करके स्वागत किया । यज्ञ ब्रह्मा जी ने मुख्य यजमान को हवन कुंड तथा हवन पुस्तिका भेंट करते हुए प्रतिदिन अथवा सप्ताह में कम से कम 1 दिन हवन करने का उपदेश दिया । आर्य वीर दल के मुखिया अशोक आर्य ने आह्वान किया कि हिंदुओं को यदि बचना है तो सप्ताह में एक दिन जैन , बौद्ध, सिख ,पौराणिक, आर्य समाजी सभी हिंदुओं को भी एकत्रित होना होगा। इसके लिए मंगलवार सबसे अच्छा रहेगा। उन्होंने आवाहन किया कि आगामी मंगलवार से संपूर्ण देश में हिंदू भी सप्ताह में एक दिन( मंगलवार को) एक निश्चित समय पर (शाम 7:00 से 8:00 तक) इकट्ठा होकर एक ही सर्वमान्य मंत्र( ओ३म ) का जाप करने का शुभारंभ करें और अपनी शक्ति दिखाएं । ईश्वर का मुख्य नाम "ओम" बौद्ध, जैन, सिख, पौराणिक तथा आर्य समाज सभी के ग्रंथों में बताया गया है । सभी देवी देवता भी ध्यान के समय ओम का ही उच्चारण करते हैं। ओम जाप के अतिरिक्त यदि किसी अन्य नाम का जाप अथवा हवन आदि कोई पूजा पद्धति अपनाई जाएगी तो सभी संप्रदाय सहमत नहीं होंगे। सभी संप्रदाय अपने-अपने मंदिरों तथा घरों में अपनी-अपनी पूजा पद्धति से पूजा करें लेकिन एकत्रीकरण में केवल सर्वमान्य मंत्र ओम का ही उच्चारण करें। उन्होंने आगे बताया कि यह एकत्रीकरण किसी भी संगठन के नाम व बैनर तले न होकर केवल मंगल मिलन के नाम से होगा तभी सफल होगा । जैसा कि इस्लाम के मस्जिदों में होता है । कार्यक्रम में सेतुबंध त्रिपाठी, विजय प्रताप शुक्ल, चंद्र प्रकाश पांडेय, ओमानंद, रामफेरन मिश्र, अरुण कुमार शुक्ल, आर्यव्रत व देवव्रत सहित कई अन्य लोग उपस्थित रहे।
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