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सावन के पहले सोमवार को शिव मंदिरों में भक्तों का उमड़ा सैलाब



लंबी लाइनें लगाकर श्रद्धालु कर रहे भगवान शिव का जलाभिषेक 


खमरिया खीरी:सावन के पहले सोमवार पर धौरहरा क्षेत्र के एनएच 730 पर शारदा नदी के ऐरा पुल के पास स्थित जंगलीनाथ मंदिर पर आज सुबह से बड़ी संख्या में भक्तों का भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए ताता लगा गया। इसके साथ साथ कफारा,धौरहरा व बहराइच बॉर्डर पर जालिमनगर पुल के पास सरयू नदी के तट पर स्थित भगवान शिव मंदिरों पर भक्तों ने सुबह से ही जलाभिषेक करना शुरू कर दिया जो निरंतर जारी है।

धौरहरा क्षेत्र में सावन माह के पहले सोमवार को पौराणिक लीला नाथ मंदिर कफारा,नरैना बाबा मंदिर धौरहरा,एनएच 730 पर स्थित सरयू नदी तट पर स्थित नागेश्वर मंदिर जालिमनगर पुल समेत शारदा नदी के ऐरा पुल के पास भगवान जंगलीनाथ मंदिर पर अल सुबह से ही श्रद्धालुओं ने भगवान शिव के दर्शन व जलाभिषेक करना शुरू कर दिया जो निरंतर बढ़ने से मंदिरों में लंबी लाइने लगी हुई है। 


सुरक्षा व्यस्था के लिए मंदिरों में तैनात की गई पुलिस


सोमवार को शिव मंदिरों में भक्तों की बढ़ती संख्या को लेकर सुबह से ही धौरहरा में नरायना बाबा मंदिर,कफारा में लीला नाथ मंदिर, जालिमनगर पुल नागेश्वर मंदिर व ऐरा पुल के पास जंगलीनाथ मंदिर परिसर में भक्तों को कोई असुविधा न हो उसके लिए धौरहरा ,कफारा ईसानगर व चौकी खमरिया पुलिस बल की तैनाती कर दी गई। जो लगातार मंदिरों में बने रहकर सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखे हुए है।



इस दौरान नैमिषारण्य के ज्योतिष आचार्य रामू शुक्ला ने बताया कि भगवान शिव के रुद्राभिषेक से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, साथ ही ग्रह जनित दोषों और रोगों से शीघ्र ही मुक्ति मिल जाती है। शिवपुराण के अनुसार किस पदार्थ (वस्तु से)अभिषेक करने पर क्या फल मिलता ये नीचे उल्लेख है-

जलेन वृष्टिमाप्नोति व्याधिशांत्यै कुशोदकै

दध्ना च पशुकामाय श्रिया इक्षुरसेन वै।

मध्वाज्येन धनार्थी स्यान्मुमुक्षुस्तीर्थवारिणा।

पुत्रार्थी पुत्रमाप्नोति पयसा चाभिषेचनात।।

बन्ध्या वा काकबंध्या वा मृतवत्सा यांगना।

जवरप्रकोपशांत्यर्थम् जलधारा शिवप्रिया।।

घृतधारा शिवे कार्या यावन्मन्त्रसहस्त्रकम्।

तदा वंशस्यविस्तारो जायते नात्र संशयः।

प्रमेह रोग शांत्यर्थम् प्राप्नुयात मान्सेप्सितम।

केवलं दुग्धधारा च वदा कार्या विशेषतः।

शर्करा मिश्रिता तत्र यदा बुद्धिर्जडा भवेत्।

श्रेष्ठा बुद्धिर्भवेत्तस्य कृपया शङ्करस्य च!!

सार्षपेनैव तैलेन शत्रुनाशो भवेदिह!

पापक्षयार्थी मधुना निर्व्याधिः सर्पिषा तथा।।

जीवनार्थी तू पयसा श्रीकामीक्षुरसेन वै।

पुत्रार्थी शर्करायास्तु रसेनार्चेतिछवं तथा।

महलिंगाभिषेकेन सुप्रीतः शंकरो मुदा।

कुर्याद्विधानं रुद्राणां यजुर्वेद्विनिर्मितम्।


अर्थात


  • जल से रुद्राभिषेक करने पर —               वृष्टि होती है।
  • दही से अभिषेक करने पर- पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होती है।
  • गन्ने के रस से अभिषेक  करने पर —लक्ष्मी प्राप्ति होती है।
  • मधु युक्त जल से अभिषेक करने पर — धन की वृद्धि होती है । 
  • तीर्थ जल से अभिषेकक करने पर — मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • इत्र तथा कुशोदक मिले जल से अभिषेक करने से —रोग  बीमारी नष्ट होती है ।
  • दूध् से अभिषेक करने से-पुत्र प्राप्ति होती है एवं प्रमेह रोग की शान्ति तथा  मनोकामनाएं  पूर्ण होती है।
  • पूर्णगंगाजल से अभिषेक करने से — रोग ज्वर ठीक हो जाता है।
  • दूध् शर्करा मिश्रित अभिषेक करने से — सद्बुद्धि प्राप्ति होती है।
  • घी से अभिषेक करने से — वंश विस्तार होती है।
  • सरसों के तेल से अभिषेक करने से —शत्रु का नाश होता है।
  • शुद्ध शहद से रुद्राभिषेक करने से- पाप क्षय होता है।

इस प्रकार शिव के रूद्र रूप के पूजन और अभिषेक करने से जाने-अनजाने होने वाले पापाचरण से भक्तों को शीघ्र ही छुटकारा मिल जाता है और साधक को शिव के शुभाशीर्वाद से समृद्धि, धन-धान्य, विद्या और संतान की प्राप्ति के साथ-साथ सभी मनोकामनाएं शिव जी पूरी करते है ।

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