अनंत चतुर्दशी 9 सितंबर दिन शुक्रवार भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष
सुमित
अनंत चतुर्दशी:सनातन धर्म में अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व है। सहस्त्र रुप वाले सहस्त्र चरण- नेत्र- शिर- वाहु वाले सहस्त्रनाम वाले शाश्वत पुरुष सहस्त्र कोटि युगो को धारण करने वाले भगवान श्री अनंत को नमस्कार है।
आज का दिवस भगवान श्री विष्णु की अनंत रूप में उपासना करने का दिवस है। इस दिन भगवान श्रीमन्नारायण की उपासना के बाद अनंत सूत्र बांधा जाता है। यह सूत्र रेशमी अथवा सूत का होता है।
इस सूत्र में 14 गांठे लगाई जाती है ।भगवान श्रीमन्नारायण ने 14 लोक बनाए हैं। जिनमें सत्य, तप, जन, मह, स्वर्ग, भुव:, भू, अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल और पाताल शामिल है।
इन लोको का पालन करने और रक्षा करने के लिए वह स्वयं भी 14 रूपों में प्रकट हुए थे। जिससे वह अनंत प्रतीत होने लगे।
इसीलिए अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत करने के साथ-साथ यदि कोई व्यक्ति श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत का पाठ करता है तो उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
रक्षा सूत्र के बांधने से भगवान श्री हरि इन समस्त लोकों में जीवो की रक्षा करते हैं ।
भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए हे वासुदेव इस अनंत संसार रूपी महासमुद्र में डूबे हुए लोगों की रक्षा कीजिए तथा उन्हें अनंत के रूप का ध्यान करने में संलग्न कीजिए ।
अनंत रूप वाले प्रभु आपको बारंबार नमस्कार है।श्री अनंत भगवान से प्रार्थना है आप सभी का कल्याण करें। हरि अनंत हरि कथा अनंता।
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