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हिन्दी प्रिय बानी हमारी अहै नहीं कोई बराबरि पावतु है: मृदुल



वेदव्यास त्रिपाठी 

प्रतापगढ़। हिन्दी पखवाड़ा मनाने के क्रम में साहित्यिक संस्था कविकुल की ओर से आठवां काव्य समारोह धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडेय अनिरुद्ध रामानुजदास के आवास पर वरिष्ठ अधिवक्ता एवं साहित्यकार पं रामसेवक त्रिपाठी प्रशांत की अध्यक्षता व उन्मत्त संस्थान के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ संगमलाल त्रिपाठी भंवर के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। 


कार्यक्रम में एंजिल्स स्कूल की प्रबंधिका डॉ शाहिदा व श्याम शंकर शुक्ल विशिष्ट अतिथि रहे। मां सरस्वती के चित्र के समक्ष पूजन एवं दीप प्रज्वलन करने के पश्चात धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास ने कहा हिंदी हिंदुस्तान वासियों की आत्मा में बसती है। 


विश्व में बोली जाने वाली भाषाओं में दूसरे नंबर पर हिंदी है। आज हिंदी को जन जन तक पहुंचाने के लिए हमारा कर्तव्य है कि हम गोष्ठी के माध्यम से कवि सम्मेलन व शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से हिंदी के उत्थान का कार्य कर सकते हैं। इसके पश्चात चर्चित कवि डॉ अशोक अग्रहरि ने अपने गीत- परिंदों को छतों पर आशियाना चाहिए, बाशिंदों को घरों को शाम तक लौट आना चाहिए।


" सुनाकर माहौल सरस बना दिया। संस्था के महासचिव सुमधुर गीतकार शीतला सुजान ने धर्मांडंबरों पर चोट करते हुए गीत-" जाति भाषा व मजहब की दीवार क्यूं कर दिए हो खड़ी अब गिराओ इसे, बेबसों मुफलिसों का सहारा बनो दान उसको करो हो जरुरत जिसे।" से वातावरण मंत्रमुग्ध कर दिया। 


वरिष्ठ कवि सत्येन्द्र नाथ मिश्र मृदुल ने हिंदी पर सार्थक रचना प्रस्तुत करते हुए पढ़ा-" हिन्दी प्रिय बानी हमारी अहै नहीं कोई बराबरि पावतु है, अनमोल रतन सिरमौर अहै यहि माटी कै मान बढ़ावतु है।" कार्यक्रम में गंगा पांडेय भावुक, शेष नारायण दूबे राही, गणेश शर्मा, रत्नेश त्रिपाठी, अवंतिका पांडेय ने अपनी कविताओं से गोष्ठी को ऊंचाई तक पंहुचा दिया। 


संचालन कविकुल अध्यक्ष सुरेश व्योम ने किया। धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडेय द्वारा रामानुज पंचांगम प्रदान कर कवियों को सम्मानित किया गया। 

अंत में फिल्म जगत के महान हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव के आकस्मिक निधन पर दो मिनट मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति के हेतु प्रार्थना की गई।

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