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सुल्तानपुर:उधार दिये पैसे वापस मांगा था तो तोड़ दिये थे हाथ,अब मिला न्याय,आरोपी को हुई चार साल की कैद...


खुर्शीद खान
सुलतानपुर।उधार दिए गए 65 रूपए वापस मांगने पर आरोपी पिता-पुत्रों ने पीड़ित को जमकर मारापीटा और उसका हाथ भी तोड़ डाला। इस मामले में एसीजेएम षष्ठम अनिल कुमार सेठ की अदालत ने आरोपी पिता को दोषी करार देते हुए चार वर्ष की कैद एवं तीन हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। वहीं आरोपी पुत्रों का विचारण अभी किशोर न्यायालय में चल रहा है। 
आगे पढ़ें पूरा मामला
मामला करौंदी कला थाना क्षेत्र स्थित पाकड़पुर बंजारे गांव से जुड़ा है। जहां के रहने वाले सहतू ने करीब तीस वर्ष पूर्व की घटना बताते हुए एक मार्च 1987 को मुकदमा दर्ज कराया। आरोप के मुताबिक सहतू ने गावं के ही जगन्नाथ को 65 रूपए उधार दिए थे। जिसे घटना के दो-तीन दिन पहले अभियोगी ने जगन्नाथ से वापस मांगे थे, लेकिन यह बात जगन्नाथ को नागंवार गुजरी और वह अपने पुत्रों कतवारू व घुमारू के साथ अभियोगी के घर पहुंचा। आरोप के मुताबिक अभियोगी अपने दरवाजे पर लेटा था तभी कतवारू ने आकर उसका कालर पकड़ लिया और बेज्जत किया। जिसके बाद आरोपी बाप-बेटों ने मिलकर लाठी-डंडों से जमकर सहतू को मारापीटा। मारपीट में अभियोगी का हाथ टूट गया और अन्य कई जगहों पर भी चोटे आयी। इस मामले में पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया। मालूम हो कि आरोपी कतवारू व घुमारू घटना के समय किशोर रहे जिसके चलते उनका विचारण किशोर न्यायालय  में चल रहा है। वहीं जगन्नाथ के विरूद्ध एसीजेएम षष्ठम की अदालत मे विचारण चला। विचारण के दौरान अभियोजन पक्ष ने सात गवाहों को परीक्षित कराया। वहीं बचाव ने अपने तर्काें एवं साक्ष्यों को पेश किया। जिस पर सुनवाई के पश्चात अदालत ने  पत्रावली आदेश के लिए नियत कर दी थी। जिसके क्रम में अदालत ने आरोपी जगन्नाथ को  बीते 12 दिसम्बर के लिए ही तलब किया था, लेकिन जगन्नाथ उस दिन हाजिर नही हुआ और उनके अधिवक्ता की तरफ से हाजिरी माफी एवं मौका अर्जी दी गयी। अदालत ने मामले को अति प्राचीनतम वाद की श्रेेणी में बताते हुए आरोपी की इस अर्जी को महज मामले को लम्बित करने का आधार माना और खरिज कर दिया। अदालत ने आरोपी के विरूद्ध गैर जामनतीय वारंट व कुर्की आदेश जारी कर बुधवार के लिए तलब कर लिया। अदालत के कड़े रूख को देखकर आरोपी जगन्नाथ बुधवार को अदालत में पेश किया गया। जिसे दोषी करार देते हुए अदालत ने चार वर्ष के साधारण कारावास एवं तीन हजार रूपए अर्थदंड की सजा सुनाई है। अदालत ने इस आदेश के विरूद्ध कोई अपील न होने की दशा में जुर्माने की रशि में से दो हजार रूपए पीड़ित को देने का आदेश दिया है। 

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