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19वीं सदी में जीने को मजबूर कुंहारन का डेरा व लोहारन का पुरवा के ग्रामीण

 
सुविधा के नाम पर अब तक गांव में नहीं की जा सकी कोई पहल
आजादी के 70 साल बाद भी गांव में नहीं हुआ विद्युतीकरण 
गांव पहुंचने के लिए मार्ग नहीं, खेत की मेड़ से होकर पहुंच रहे राहगीर
  सत्येन्द्र खरे 
कौशाम्बी जिले के नेवादा गांव में पसरी अव्यवस्था को देखकर तो नहीं लग रहा कि हम वाकई 21वीं सदी में जीवन यापन कर रहे है। गांव के हालात बद से बदतर है। अब तक गांव में सुविधा के नाम पर कोई पुख्ता इंतेजमात नहीं किए गए। यहां के ग्रामीण आज भी अपने आपको 19वीं सदी के हिसाब से जीवन यापन करने को मजबूर है। यह खुलासा तब हुआ जब क्राइम जन्शन ने गांव का जायजा लिया। 
45 सौ की आबादी वाले गांव में कुंहारन का डेरा व लोहारन का पुरवा भी शामिल है। बात करें दोनों मजरों की तो यहां पहुंचने के लिए मार्ग नहीं है। ग्रामीण खेत की मेड़ का सहारा लेकर गांव पहुंच रहे है। सबसे अधिक फजीहत तब होती है, जब गांव का कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है या फिर गांव में किसी के घर बारात आनी होती है। इस हालात में ग्रामीण अपनी बेटी को पैदल ही विदा करते है। तकरीबन एक किलोमीटर की पैदल दूरी तय करने के बाद साधन मुहैया होता है। वहीं गांव के अंदर कुछ एक मार्ग को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर मार्ग कच्चे है। जल निकासी के लिए नाली नहीं है। बरसात के समय गांव के हालात और भी बदतर हो जाते है। दोनों मजरों में शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया है। शौच के लिए ग्रामीण अब भी बाहर खेत की ओर जाते है। साफ-सफाई के लिए तैनात सफाई कर्मी नहीं आ आता है। गांव में चहुंओर गंदगी का ढ़ेर लगा है। प्राथमिक विद्यालय में अध्ययनरत बच्चे खुद सफाई करते है। यही नहीं देश की आजादी को 70 साल बीत जाने के बाद भी विद्युतीकरण नहीं कराया जा सका है। शाम होते ही गांव में अंधेरा पसर जाता है। 

क्या कहते है चायल विधायक 
बीजेपी से चायल विधायक संजय गुप्ता का कहना है कि पिछली सरकारों ने कभी भी गाव की ओर ध्यान ही नहीं दिया उसी का नतीजा है की गावो में जाने के लिए मार्ग भी नहीं है इसके लिए अधिकारिओ को बोला है जल्द ही सड़क का निर्माण कराया जायेगा और भी जो समस्या होगी दूर किया जायेगा l 
क्या कहते है ग्रामीण 
मंगली प्रसाद ने बताया कि गांव तक पहुुंचने के लिए मार्ग नहीं है। ग्रामीण खेत की मेड़ का सहारा लेकर गांव आते जाते है। मार्ग न होने से गांव तक कोई वाहन भी नहीं पहुंच पाता है। वहीं किसी के अचानक बीमार हो जाने पर सबसे अधिक परेशानी होती है। 
सौरभ कुमार का कहना है कि गांव में कहीं पर भी जल निकासी के लिए नाली का निर्माण नहीं कराया गया है। इससे मार्ग पर ही लोगों के घरों का गंदा पानी भरा रहता है। आवागमन में गांव के लोगों को दिक्कतें होती है। वहीं बरसात के समय में तो लोगों को निकलना दूभर हो जाता है। 
शिव प्रसाद का कहना है कि प्राथमिक विद्यालय कुंहारन का डेरा में लगा हैंडपंप एक साल से खराब पड़ा है। इससे विद्यालय के बच्चों को पानी के लिए गांव जाना पड़ता है। कई बार हैंडपंप को ठीक कराए जाने की मांग की, लेकिन किसी ने इस ओर पहल नहीं दिया। 
राजेश कुमार का कहना है कि सफाई कर्मी न ओन से गांव के बाहर मोड़ पर भारी गंदगी का ढ़ेर लगा है। अधिकतर लोग अपने यहां का कूड़ा करकट गांव के बाहर एक ही स्थान पर रास्ते किनारे फेंकते है। जो संक्रामक बीमारी को दावत देता है। गांव की नियमित साफ-सफाई कराई जानी चाहिए। 
रामसेवक का कहना है कि  विद्युतीकरण न होने से शाम होते ही गांव में अंधेरा छा जाता है। बोर्ड की परीक्षा फरवरी में होनी है। इससे बोर्ड के परीक्षार्थी भी अपनी पढ़ाई नहीं कर पा रहे है। विद्युतीकरण के लिए कई बार विभागीय अधिकारियों से मांग की गई, लेकिन कोई पहल नहीं हो सकी है। 
प्रेमचंद का कहना है कि  गांव में पसरी अव्यवस्था से निजात दिलाए जाने के लिए कई बार बीडीओ समेत जिला प्रशासन से गुहार लगाई गई। यहां तक कि मुख्यालय मंझनपुर पहुंचकर विद्युतीकरण की आवाज बुलंद की गई। लेकिन आज तक किसी ने भी गांव में विकास के लिए कोई पहल नहीं की।

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