रूबी सिद्दीकी
अमेठी (यूपी)। सोनिया गांधी जिस अमेठी में 17 साल पहले कांग्रेस की अध्यक्ष बनकर आईं थीं उसी पुशतैनी सरज़मीं पर बतौर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पहली बार दो दिवसीय दौरे पर आये थे। राहुल गांधी एक दशक से अधिक समय से यहां के सांसद भी है, लेकिन सांसद होते हुए उनका यहां कभी उतना विरोध नहीं हुआ जितना कि राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद। हालांकि विरोध का कोई नहीं था। बावजूद इसके अमेठी के हर चौराहे पर उनके विरोध के बाद लोगों के दिमाग़ में सवाल कौंध रहा है, आखिर राहुल का विरोध क्यों? इस विरोध के बाद कहा जा सकता है कि 2019 में राहुल के पनघट की
डगर कठिन है।
अमेठी (यूपी)। सोनिया गांधी जिस अमेठी में 17 साल पहले कांग्रेस की अध्यक्ष बनकर आईं थीं उसी पुशतैनी सरज़मीं पर बतौर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पहली बार दो दिवसीय दौरे पर आये थे। राहुल गांधी एक दशक से अधिक समय से यहां के सांसद भी है, लेकिन सांसद होते हुए उनका यहां कभी उतना विरोध नहीं हुआ जितना कि राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद। हालांकि विरोध का कोई नहीं था। बावजूद इसके अमेठी के हर चौराहे पर उनके विरोध के बाद लोगों के दिमाग़ में सवाल कौंध रहा है, आखिर राहुल का विरोध क्यों? इस विरोध के बाद कहा जा सकता है कि 2019 में राहुल के पनघट की
डगर कठिन है।
जानें क्या हैं विरोध के कारण
सोमवार (15जनवरी) और मंगलवार (16 जनवरी) को राहुल गांधी उसी अमेठी संसदीय क्षेत्र के दौरे पर थे जहां वो उपाध्यक्ष बनकर कभी आया करते थे। और अब अध्यक्ष बनकर आये थे। वैसे उनके उपाध्यक्ष और अध्यक्ष में बहुत फ़ासला नहीं था, सभी जानते हैं राहुल कांग्रेस को चलाते हैं। इसके बाद दो दिन के राहुल के दौरे में अमेठी के अंदर माहौल वैसा ही दिखाई दिया जैसे 2014 के लोकसभा चुनाव लड़ते में दिखा था। उस वक़्त राहुल को बूथ-बूथ जाना पड़ा था, वैसा ही माहौल इन दो दिनों में रहा चौराहों पर विरोध।
कहीं इस विरोध के पीछे ईरानी का 2019 को लेकर टारगेट तो नहीं?
आपको बता दें कि सोमवार और मंगलवार दो दिनों के अंदर अमेठी लोकसभा क्षेत्र की सड़कों पर जिस तरह का हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला, बीजेपी-कांग्रेस वर्कर्स के बीच झड़पों में पुलिस हलाकान-परेशान होकर पिसती रही उसने बहुतेरे सवाल खड़े किये। सभी सवालों को किनारे कर यादि कैमरे में कैद हुई कुछ तस्वीरों को गौर से देखा जाये तो विरोध अमेठी की जनता का कम ईरानी समर्थकों का अधिक रहा।
राहुल के विरोध में 4 जगह 4 BJP नेताओं का आगे रहा नाम
सोमवार को कांग्रेस का काफ़िला लखनऊ एयरपोर्ट से चलता चला आया, विरोध के एक नारे को सुनने के लिये लोगों के कान तरस गये। लेकिन जैसे ही राहुल का काफ़िला अमेठी लोकसभा क्षेत्र के सलोन विधानसभा में एंट्री किया बीजेपी विधायक दल बहादुर कोरी ने समर्थकों के साथ राहुल का विरोध किया। बात इतनी बढ़ी की कांग्रेस के ज़िम्मेदार नेता एएसपी से उलझ गये।
यहां से राहुल की एंट्री जब अमेठी के सगरा इलाके में हुई तो अमेठी के बीजेपी नेता राजेश मसाला ने समर्थकों के साथ सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया।
इतने ही पे बात थमी नहीं मंगलवार को राहुल के दौरे के दूसरे और अंतिम दिन मुंशीगंज गेस्ट हाउस से काफ़िला जब निकल कर गौरीगंज के लिये रवाना हुआ तो यहां बीजेपी के जिलाध्यक्ष उमाशंकर पांडेय के नेतृत्व में सैंकड़ों से ज़्यादा लोगों ने सम्राट साइकिल का मुद्दा उठाकर विरोध किया। खुद बीजेपी के जिलाध्यक्ष ने इनको समर्थन की बात कही।
जगदीशपुर के मुख्य चौराहे पर राहुल का विरोध हुआ, सूत्रों की मानें तो यहां विरोध करने वाले राज्यमंत्री के समर्थक थे।
यहां से राहुल की एंट्री जब अमेठी के सगरा इलाके में हुई तो अमेठी के बीजेपी नेता राजेश मसाला ने समर्थकों के साथ सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया।
इतने ही पे बात थमी नहीं मंगलवार को राहुल के दौरे के दूसरे और अंतिम दिन मुंशीगंज गेस्ट हाउस से काफ़िला जब निकल कर गौरीगंज के लिये रवाना हुआ तो यहां बीजेपी के जिलाध्यक्ष उमाशंकर पांडेय के नेतृत्व में सैंकड़ों से ज़्यादा लोगों ने सम्राट साइकिल का मुद्दा उठाकर विरोध किया। खुद बीजेपी के जिलाध्यक्ष ने इनको समर्थन की बात कही।
जगदीशपुर के मुख्य चौराहे पर राहुल का विरोध हुआ, सूत्रों की मानें तो यहां विरोध करने वाले राज्यमंत्री के समर्थक थे।
ईरानी के करीबियों में शामिल हैं विरोध करने वाले सभी चेहरे
जानकारों की मानें तो राहुल का सड़कों पर विरोध करने वाले ये सभी चेहरे ईरानी के करीबियों में मानें जाते हैं। लोगों के अनुसार राहुल के दो दिनों तक चले विरोध में सबसे अहम बात ये रही कि मुख्य अमेठी क्षेत्र में राहुल का विरोध हुआ लेकिन बीजेपी विधायक गरिमा सिंह एवं उनके प्रतिनिधि बेटे अनंत सिंह ने विरोध-प्रतिरोध से दूरी बनाये रखा।
यही नहीं विरोध करने वालों में तिलोई विधायक मयंकेश्वर शरण सिंह और उनके समर्थकों का नाम भी सुनने को नही मिला। ऐसे में कहा जा सकता है बीजेपी और ईरानी को ख़तरा कांग्रेस से है।
यही नहीं विरोध करने वालों में तिलोई विधायक मयंकेश्वर शरण सिंह और उनके समर्थकों का नाम भी सुनने को नही मिला। ऐसे में कहा जा सकता है बीजेपी और ईरानी को ख़तरा कांग्रेस से है।

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