अखिलेश्वर तिवारी
बलरामपुर ।। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को भ्रष्टाचार मुक्त तथा आम जनता के लिए सरल व उपयोगी बनाने की घोषणा की थी परंतु जनपद बलरामपुर के संयुक्त जिला चिकित्सालय के प्रबंधन पर मुख्यमंत्री के इस घोषणा का कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है । जिला संयुक्त चिकित्सालय एक के बाद एक भ्रष्टाचार का शिकार होता जा रहा है । हाल ही में सीएम योगी ने बलरामपुर दौरे के दौरान अधिकारियों के साथ बैठक करके स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने की हिदायत भी दी थी ।
इसके बावजूद भी संयुक्त जिला चिकित्सालय के हालात सुधरते नहीं दिख रहे हैं । संयुक्त जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक पर भ्रष्टाचार सहित तमाम अनियमितता के गंभीर आरोप लग रहे हैं । ऐसे में अस्पताल की दशा सुधरने की उम्मीद भी नहीं की जा सकती है । सीएमएस खुद अस्पताल से गायब रहते हैं और डॉक्टर मनमाने तरीके से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं । जिसके कारण मरीजों को समुचित इलाज समय पर नहीं मिल पा रही है । डॉक्टरों द्वारा मरीजों को बाहर से दवाएं लिखे जा रहे हैं । साथ ही निजी प्रैक्टिस भी खुलेआम चलाया जा रहा है ।
जानकारी के अनुसार संयुक्त जिला चिकित्सालय को उच्चीकृत करने का प्रयास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर किए जाना है । बलरामपुर में बनने वाले मेडिकल कॉलेज के निर्माण से पहले केजीएमयू का सेटेलाइट सेंटर संयुक्त जिला चिकित्सालय में स्थापित किए जाने की कवायद शुरू होनी है । ऐसे में संयुक्त जिला चिकित्सालय के मुखिया चिकित्सा अधीक्षक डा0 राजेश मोहन गुप्ता के ऊपर गंभीर आरोप लगने से पूरी व्यवस्था पर सवालिया निशान लग गया है । दरअसल सदर विधायक पलटू राम ने जनता की तमाम शिकायतों को संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री को सीएमएस के विरुद्ध पत्र लिखा है ।
पत्र में सीएमएस द्वारा अस्पताल में अनियमितता किए जाने, सरकारी धन व सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग करने तथा संविदा की नियुक्तियों पर मनमाने तरीके से पैसे लेकर नियुक्ति कराए जाने के साथ ही भ्रष्टाचार में पूरी तरह लिप्त होने की शिकायत की है । शिकायत यह भी है कि सीएमएस डॉक्टर गुप्ता अक्सर अपनी ड्यूटी से गायब रहते हैं ।
वे सिद्धार्थनगर जिले का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं । कारण बताया जा रहा है कि उनकी पत्नी का नर्सिंग होम सिद्धार्थ नगर में संचालित हो रहा है जहां के मुख्य डाक्टरों में से वह स्वयं है । सरकारी गाड़ी से सिद्धार्थनगर आना जाना तथा बार-बार अस्पताल छोड़ कर जाने की शिकायत कई बार के जा चुकी है । शिकायत को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी को जांच हुई सौंपी गई है । अब देखने वाली बात यह है की जांच कब पूरी होगी और लोगों को कब स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाएंगे ।
उधर सीएमएस आरोपों को निराधार बताते हुए कह रहे हैं की जो भी अनियमितता की गई है उनके कार्य भार ग्रहण करने से पहले की गई है । नियुक्ति में फर्जीवाड़ा के सवाल पर उसे वह अनजाने में की गई कार्रवाई बता रहे हैं । उनका कहना है कि उनके कार्यालय के लिपिक ने धोखा से उनसे पेपरों पर साइन करा लिए हैं । लिपिक अजय कुमार श्रीवास्तव की मानें तो सीएमएस डा0 राजेश मोहन गुप्ता ने गलत तरीके से कई मद का भुगतान कराया है ।
संविदा में होने वाली नियुक्तियों के लिए बाकायदा नाम व पद लिखकर सीएमएस ने कार्यदाई संस्था को लेटर भी जारी किया है । इतना ही नहीं सीएमएस निर्धारित मद के अलावा दूसरे मदों से भी भुगतान अनियमित तरीके से दबाव बनाकर करवा रहे हैं जिसमें शव वाहन के ड्राइवर का वेतन का खर्चा भी शामिल है ।
कार्यालय में मौजूद फर्जी भुगतान के रिकॉर्ड नियुक्तियों के लिए लिखे गए पत्र भी मौजूद है जो मुख्य चिकित्सा अधीक्षक द्वारा फर्जी तरीके से कराए गए हैं । जब अस्पताल का मुखिया ही भ्रष्टाचार में लिप्त होगा तो फिर मरीजों को उचित इलाज कैसे मिल पाएगा यह एक बड़ा सवाल है ।


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