Type Here to Get Search Results !

Bottom Ad

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खरगूपुर बना भ्रष्टाचार का अड्डा










अधीक्षक पर तानाशाही और भ्रष्टाचार में लिप्त रहने के आरोप

 समाजसेवी हरिशंकर तिवारी ने मुख्यमंत्री से की शिकायत




ए. आर. उस्मानी
गोण्डा। डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है, लेकिन जब वे आकंठ भ्रष्टाचार में डूबकर अनैतिक रूप से धन अर्जित करने की मंशा के तहत गरीब मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करने लगें, तो उन्हें क्या कहा जाए? यह सवाल खड़ा हुआ है जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रूपईडीह (खरगूपुर) के अधीक्षक के तानाशाहीपूर्ण रवैये और भ्रष्टाचार में संलिप्तता के चलते। इसकी शिकायत प्रदेश के मुख्यमंत्री से करते हुए जनहित में जांच कराकर डॉक्टर के विरूद्ध कार्रवाई की मांग की गई है।








   जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रूपईडीह (खरगूपुर) में चिकित्सा अधीक्षक के पद पर डॉक्टर जयप्रकाश शुक्ला की तैनाती है। बताते हैं कि वे यहां पर न रहकर लखनऊ से आते- जाते हैं, जिससे क्षेत्र के गरीब मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सीएचसी पर व्यवस्था का आलम यह है कि मरीजों को अस्पताल से दवाएं न देकर बाहर से अधोमानक दवाएं खरीदकर लाने के लिए विवश किया जाता है। क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता हरिशंकर तिवारी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री के साथ ही देवीपाटन मंडल गोण्डा के आयुक्त, अपर निदेशक स्वास्थ्य और जिलाधिकारी को पत्र भेजकर चिकित्सा अधीक्षक जेपी शुक्ल पर आकंठ भ्रष्टाचार में डूबकर अनैतिक रूप से धन अर्जित करने, गरीब मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते हुए उनका आर्थिक एवं मानसिक शोषण करने, शासन व प्रशासन द्वारा जनहित में चलायी जा रही अति महत्वाकांक्षी योजनाओं में रूचि न लेने तथा बगैर सुविधा शुल्क के मरीजों को न देखने का आरोप लगाया गया है। कहा गया है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रूपईडीह (खरगूपुर) को अधीक्षक जयप्रकाश शुक्ल ने भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया है। आलम यह है कि यहां गरीब मरीजों को अस्पताल से दवाएं मुहैया कराने के बजाय बाहर से अधोमानक दवाएं खरीदने के लिए विवश किया जाता है। आरोप है कि इन दवाओं पर मेडिकल स्टोर संचालकों से अधीक्षक का 40 प्रतिशत कमीशन तय रहता है। गरीब एवं असहाय मरीज जब अस्पताल से ही दवाएं मुहैया कराने की बात करते हैं तो उन्हें वहां से यह कहकर भगा दिया जाता है कि जब जिला मुख्यालय से दवा की सप्लाई मिलेगी, तब आना। चिकित्सा अधीक्षक के इस व्यवहार के चलते मरीजों को मजबूर होकर बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ती हैं। इस तरह गरीब मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते हुए डॉक्टर शुक्ल अवैध रूप से काली कमाई कर धन अर्जित करने में लगे हुए हैं।








       मुख्यमंत्री को भेजे गए शिकायत पत्र में यह भी कहा गया है कि चिकित्सा अधीक्षक राष्ट्रीय स्तर की योजनाओं में भी कोई रूचि नहीं लेते हैं। पल्स पोलियो, क्षय रोग के कैम्प के साथ ही सरकार के निर्देश पर गांवों में लगने वाले विभिन्न स्वास्थ्य कैम्पों में भी इनकी उपस्थिति कभी नहीं रहती है। वे तैनाती स्थल पर न रहकर अपने निवास स्थान लखनऊ रहते हैं। पत्र में कहा गया है कि 5 अगस्त को पल्स पोलियो कार्यक्रम था, लेकिन डॉक्टर शुक्ला अस्पताल में रहने के बजाय लखनऊ चले गए थे और 7 अगस्त की शाम को वापस आने पर उपस्थिति पंजिका पर हस्ताक्षर कर दिए। इससे यह साफ प्रतीत होता है कि शासन-प्रशासन द्वारा चलायी जा रही अति महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य योजनाओं को दरकिनार करने के साथ साथ उपस्थिति पंजिका पर गलत तरीके से बाद में हस्ताक्षर कर उपस्थिति दर्ज कराने का कार्य पूरी तरह असंवैधानिक है। ऐसे में उक्त डॉक्टर के विरूद्ध जांच कराकर जनहित के मद्देनजर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। वहीं, चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर जयप्रकाश शुक्ल इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं। उनका कहना है कि आने वाले प्रत्येक मरीज को अस्पताल में उपलब्ध दवाएं मुहैया कराई जाती हैं। 
      









 बहरहाल, जो भी हो। डॉक्टर की बेलगामी ने व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह जरूर लगा दिया है। इसलिए इसकी जांच हरहाल में जरूरी है। सूत्र बताते हैं कि अस्पताल में रसूख वालों के लिए दवाएं उपलब्ध रहती हैं, लेकिन गरीबों को बाहर से खरीदकर लाने के लिए मजबूर किया जाता है। ऐसे में सवाल यह भी है कि क्या सरकार की मंशा को डॉक्टर पलीता नहीं लगा रहे हैं? सरकार चाहती है कि सबको मुफ्त इलाज मिल सके। इसके लिए तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन डॉक्टर सरकार की मंशा में सबसे बड़ा रोड़ा बन रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य परियोजनाएं राम भरोसे हैं!
Tags

एक टिप्पणी भेजें

2 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad



 

Below Post Ad

5/vgrid/खबरे